Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
View full book text
________________
ROO5555555555555554
(३८-२) पंचकप्पभास पंचम छेयसुतं
[२७]
55555%%%%%%%%%%
HOSC听听听听听乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐坂乐乐 乐乐乐乐明听听听听听乐乐听乐乐玩玩乐乐乐听听听听听听听乐
पुव्वभणियाणि जाणि तु ताई खलु सत्त उ हवंति ||३|| णाणस्स दंसणस्स य चरणस्सय जत्थ णत्थि उवघातो। एसो तु खेत्तकप्पो जहियं च अणायणा णत्थिाल० ६७॥४॥ उदगभयवुज्झणादी जह कोंकणसिंधुतामलित्तादी । णत्थि जहिं अग्निभयं निरग्गिसाहम्मियगिहा वा ।।५।। जहियं च सावयभयं सीहादीणं ण विज्जए देसे। जहियं च णत्थि चोरा देहुवहीपंथामेसादी ॥६।। वाला उ सप्पगोणसमादी बोहिगभयं च णत्थि जहिं । मणसो समाहिकारो सो रम्मो होति णायव्यो ।।७।। सूरो अणण्णगम्मो जत्थ णरिंदो तहिं सुहविहारं । साहुगुणे य वियाणति कुणति य साहूण जो रक्खं ॥८॥ अहिरण्णसुवण्णते छज्जीवणिकायसंजमे णिरता । जाणति जणशे य एवं जत्थ तु साहूण गुणणिहसं ल० ६८॥९॥ सज्झाओ जहिं सुज्झति कुदिगिण्णो ण यावि जो होति । एसण इत्थी सोही य जत्थ तहियं णिवासे तु॥९९०।। जहितं च अणायतणा ण संति के पुण अणातणा भणिता ?। साहम्मि भिण्णचिवा मूलत्तरदोसपडिसेवी ॥१|| एतेहिंजो देसो आइन्नो तह य अन्नतित्थीहिं। मच्छंधवाहगाम पुलिंददेसा अणायतणा ।।२।। एतारिसम्मि खेत्ते अप्पडिबद्धेण विहरियव्वं तु । आलंबणाई केइ तू इमाणि काउंण विहरंति ||३|| वसही संथारो भत्त पाण वत्थे पडिग्गहे सेहा । सड्ढा य पुव्वसंथुय असद्दहते य पडिबंधो ॥६४॥४॥ फासुया एसणिज्जा य, णिवाया य रितुक्खमा। एरिसा साहुपाउग्गा, वसही दुल्लभऽण्णहिं ।।५।। एमेव य संथारा कंबलदब्भादिवत्थुनिप्फन्ना । सयणासणा य जहियं सुलभा जोग्गा य साहूणं ||६|| भत्तं सुलभ मणुण्णं च एरिसं णस्थि अण्णहिं तत्थ । जंगियभंगियमादी नहु सुलभा अन्नयि वत्था ||७|| पडिगहगाऽविय सुलभा सेहा यऽन्नत्था नत्थि खेत्तम्मि । अण्णत्थ दुल्लभा तू तेण तु एत्थं बहुगुणं तु ।।८।। सड्डा आहारादी दिति य
जोग्गाणि संथुता चेव । पुरपच्छ दिठ्ठभठ्ठा य अण्णहिं णत्थि एरिसगा ॥९।। उडुबद्धमासकप्पेण विहारो तं ण सद्दहइमेहिं । संजमआतविराण वच्चंते गामअणुगामं ॐ ॥१०००|| णाणादीण य हाणी जोग्गं खेत्तं तु मग्गमाणाणं । खेत्ताओऽविय खेत्तं संकमणे धुवमसज्झाओ॥१॥ जे णीयत्ते दोसा मासंतो परिवसेण ते चेव । एवं
मासविहारे मणंतो बहुविहे दोसे ।।२।। णो सद्दहति विहारं तेण तु ण विहरेति तस्स आणादी । मासोवरिं च लहुओ णीयावासे य जे दोसा ॥३।। ते सो पावति सव्वे एतेहालंबणेहिं अच्छंतो। किं एगंतेणेवं ? ण विसेसो भण्णती सुणसु॥४॥ णिक्कारणम्मि एवं पडिबंधो कारणम्मि णिद्दोसो। ते चेव अज्जयणाए पुणोऽवि सो पावती दोसे॥५|| काणि पुण कारणाइं जेहिं चिटेज एगठाणम्मि ? । भण्णति पुव्वुद्दिट्ठा जे खेमसिवादिया दारा ||६|| तेसिं चिय पडिवक्खा अक्खमे असिव तह य दुब्भिक्खे। बहुपाणुवस्सओ वा अमणुण्णोतुदयमादी ।।७।। एतेहिं कारणेहिं एगट्ठाणम्मि अच्छमाणा उ। जदि जयण ण कुचंती ते च्चिय णीयदिया दोसा ||८|| का पुण जयणा तहियं ? भण्णति तिहि कारणेहिँ उ ठितस्स । अण्णउवस्सयभिक्खादिया तुजयणा मुणेयव्वा ।।९।। अक्खेममादिएसुवि अक्खेत्तेसुंतु कारणवसेणं । चिठ्ठताणं तहियं समा तु जयणा मुणेयव्वा ॥१०१०॥ अक्खेमेवि सति पुरं संवढें वावि आसयंती उ। अक्खेमं चऽण्णत्था तहिं खेमं तो ण णिग्गच्छे ।।१॥ जदि असिवं तु बहिद्धा तइया अच्छंति ते तहिं चेव ! दुब्भिक्खेऽवि ण णिति य अहवा सव्वत्थ दुब्भिक्खं ।।२।। दुब्भिक्खे जयण तहियं अच्छंते वावि जयण तह चेव । बहुपाणे आउत्ता चंकमंते तु जयणाए ।।३।। उवस्सएँ आउत्ता कुडमुहभूतीत वावि लक्खंता । अण्णाए वसहीए ठंति पमज्जंति य अभिक्खं ॥४॥ जा जत्थ जयण जुज्जति अमणुण्णे उवस्सयम्मि तं कुज्जा कयवरसोहणमादी दुग्गंधे गंध पकिरती ॥५|| उदगभए थलगामे थले च वसही तहिं तु गिण्हंति । अग्गिभएँ मालबद्धे हम्मिततलगम्मि व वसंति ॥६॥ रोगबहुले अपुच्छा णिवेज्जए चोरकिण्णी ण तु विहरे । सत्थेण वावि गच्छे ठायंति व जत्थ णिरवायं ।।७।। जहियं सावयदोसा (च्चा) तहियं एगाणितो ण गच्छेज्जा । गेण्ह वसहिं च गुत्तं गामस्स तु मज्झयारम्मि ॥८॥ विज्जामंतादीहिं वाले णीणेति रातो णवि गच्छे । रायं च पण्णविंती साहुगुणमजाणमाणं तु॥९॥ जत्थ जणो णवि जाणति साहुगुणे तहिं कहंति साहुगुणे । परिभोग अकालम्मी रत्तिं कुव्वंति सज्झायं ॥१०२०॥ दूरेण कुतित्थीए वज्जेती एसणं च पण्णवए । कुल (लगु) डाइत्थीचरियाझ्या य वज्जति चरणठ्ठा ॥१॥ वज्जेज्ज अणायतणा णाणादीणं च जत्थ उवघातो । एवं जहसंभवं तं करेज जयणं णिवसमाण्णे ॥२।। एसो तु खेत्तकप्पो उस्सग्गववायसंजुतो भणितो । एत्तो उ कालकप्पं वोच्छामि जहक्कमेणं तु ॥३|| मासं पज्जोसवणा वुद्धावास परियायकप्पो य । उस्सग्ग पडिक्कमणे कितिकम्मे चेव ॥
図のAO5555555555円玉5玉虫浜5555555SFFFF[あああああああああああ65FFCC
-
Pririr NEENELE
S
ELLELO
LELEVELLELELLELELLELENELENTERTELEVEL 11:11-
Page Navigation
1 ... 1600 1601 1602 1603 1604 1605 1606 1607 1608 1609 1610 1611 1612 1613 1614 1615 1616 1617 1618 1619 1620 1621 1622 1623 1624 1625 1626 1627 1628 1629 1630 1631 1632 1633 1634 1635 1636 1637 1638 1639 1640 1641 1642 1643 1644 1645 1646 1647 1648 1649 1650 1651 1652 1653 1654 1655 1656 1657 1658 1659 1660 1661 1662 1663 1664 1665 1666 1667 1668 1669 1670 1671 1672 1673 1674 1675 1676 1677 1678 1679 1680 1681 1682 1683 1684 1685 1686 1687 1688 1689 1690 1691 1692 1693 1694 1695 1696 1697 1698 1699 1700 1701 1702 1703 1704 1705 1706 1707 1708 1709 1710 1711 1712 1713 1714 1715 1716 1717 1718 1719 1720 1721 1722 1723 1724 1725 1726 1727 1728 1729 1730 1731 1732 1733 1734 1735 1736 1737 1738 1739 1740 1741 1742 1743 1744 1745 1746 1747 1748 1749 1750 1751 1752 1753 1754 1755 1756 1757 1758 1759 1760 1761 1762 1763 1764 1765 1766 1767 1768 1769 1770 1771 1772 1773 1774 1775 1776 1777 1778 1779 1780 1781 1782 1783 1784 1785 1786 1787 1788 1789 1790 1791 1792 1793 1794 1795 1796 1797 1798 1799 1800 1801 1802 1803 1804 1805 1806 1807 1808 1809 1810 1811 1812 1813 1814 1815 1816 1817 1818 1819 1820 1821 1822 1823 1824 1825 1826 1827 1828 1829 1830 1831 1832 1833 1834 1835 1836 1837 1838 1839 1840 1841 1842 1843 1844 1845 1846 1847 1848 1849 1850 1851 1852 1853 1854 1855 1856 1857 1858 1859 1860 1861 1862 1863 1864 1865 1866 1867 1868