Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(३८-२) पंचकप्पभास पंचम छेयसुतं
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र आणेतेत्ती घेत्तू व तं केई॥१९१०|| सेसाण पालणठ्ठा तोतं उम्मंडलिं करेंती उ। जइ आउट्टति जुज्जति ताहे मेलिज्जइ पुणोऽवि ॥१॥ अह पुण चोइज्जतो बहुसो कणाउट्टए उतं दोसं। सति लाभलद्धिजुत्तो निज्जूहंती उतं ताहे ||२|| अहं मंदलाभलद्धी ण य जोगं जुज्जती अंहत्थामं । सो हि खरंटेऊणं मेलिज्जई मंडलीए उ॥३॥ किं के कारण णिज्जुहणा ? जं साहूणं गुणुत्तरधराणं । ण केरई वच्छल्लं तेण उ णिज्जुहणा तस्स ॥४॥ एवं आयरिएण उ जोगो सव्वस्स चेव गच्छस्स । वोढव्वो दि→तो गएण'
इत्थं इमो होइ ॥५||जहगयकुलसंभुओगिरिकंदरविसमकडगदुग्गेसु। परिवहति अपरितंतोणियगसरीरूपगते दंते॥ल०१३८॥६॥ तह पवयणत्तिगओ साहम्मियवच्छलो म असढभावो। परिवहति अपरितंतो खित्तविसमकालदुग्गेसुल०१३९||७|| जइ एक्कभाणजिमिता गिहिण्णोऽविय दीहमेत्तिया होति । जिणवयणबहिब्भूता धम्म पुन्नं
अयाणंता ल० १४०||८|| किं पुण जगजीवसुहावहेण संभुजिऊण समणेणं । सक्को हु (न) एक्कमेक्को नियओविव रक्खिउं देहो ? ||१४१||९|| केरिसय संभुंजे केरिसयं वावि ऊ ण संभुजे ?। भण्णइ उग्गमसुद्धं भुंजे असुद्धं ण भुजेज्जा ।।१९२०॥ चोदेआहारादी उग्गममादी असुद्ध मा भुजे । जं पुण अपेहणादीकालादीहिं उवहयं तु॥१॥ तं पुण सुद्धोवहिणा मा समयं एक्कहिंतु बंधेज्जा । संघासेणं तस्स उउववाओमा हु सुद्धस्स ? ||२|| भन्नति सुद्धस्स जती संघासेणं तुहोइ उवघातो। सुर्तण असुद्धेण(द्धस्सा)ऽवि पावइ सुद्धी तव मएणं ॥३|अह उवघातोत्ति मतं संफासेण उमता विसोही ते । णणु ते इच्छामेत्तं न य इच्छामित्तओ सिद्धी ॥४॥ उवघातों विसोही वा णत्थिय जीवस्सभावओ एसो। उवघातो विसोही वा परिणामवसेण जीवस्स॥५।। तस्सेव पसत्थस्स उ परिणामस्स अह रक्खणठाए। कीरइ संभोगविही गच्छपसत्तीइ मा गच्छे ।।६।। संभोगकप्पदारं एवं खलु वण्णियं मए एवं । आलोयणकप्पविहिं एवो वोच्छं समासेणं ||७|| दुविहपडिसेवणाए दाट्ठाण दुयागताण ठाणाणं । जस्सेव उ अभिमुहओ आलोएज्जा तदछाए ॥१२७||८|| दप्पिया कप्पिया चेव, दुविहा पडिसेवणा । दप्पियाए उ दोठ्ठाणा, मूले तह उत्तरे चेव ।।९।। कप्पियाएविएमेव, दो ठाणा उ वियाहिया। जयणा अजयणाचेव, एक्केक्का य वियाहिया॥१९३०|| जस्सेव अभिमुहोत्ती जंचेव य काउ विहरते पुरतो। आयरियउवज्झाया तस्सेव उ तं तु आलोए|१|| अहवा जंजह सेवित मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य । पाणतिवातादीसु य वएसुतं तं तहाऽऽलोए|२|| अहवा मोक्खाभिमहो मोक्खट्ठाए उ अठ्ठकम्माणं । अणलोइए ण मुंचति कम्हा ? इणमो निसामेहिं ॥३|| जइविय तवगुणजुत्तो होइ मणुस्सो अणुद्धरियसल्लो । ण करेति दुक्खमोक्खं सल्लुद्धरणे पततियव्वं ॥४॥ तं पुण केरिसगस्स उ वियडेयव्वं तु ? जाणतो जो तू । अविजाणते ण कप्पति अजाणतो जो अगीयत्थो॥५॥ पायच्छित्तमयाणतो, ठाणे ठाणे अहाविहिं। आलोयणाए उवसंपयाए ण हु होति पाउग्गो ||६|| किं कारणं ? ण याणति सोहिं साहुस्स सोहिकामस्स । ठाणे ठाणे पुडूवादिएसु मूलुत्तरे वावि ||७|| पाणतिवातादीसु य कारण णिक्कारणे य जयणाए । आलोयणगुणदोसदरिसणेणं हु पाउग्गो ।।८।। गुण अणिगुहियमादी दोसा पुण गृहणादिया होति । एते ण याणे अगीतो तम्हा उ इमस्स णालोए।९।। पायच्छित्तं वियाणतो, ठाणे ठाणे अहाविहिं। आलोयणाए उवसंपयाए सो होइ पाउग्गो ॥१९४०।। पडिसेवणकालोऽविय दुविहे काले पबंधवोच्छेदे । एक्कक्के छक्कएणं आलोयण मा पडिच्छाहिं ।।१२८||१॥ पडिसेवणाऽतियारा दुविहा मूलगुण उत्तरगुणे य । पडिसेवणकालोऽविय दुविहो उउबद्ध वासे य ॥२॥ अव्वोच्छिन्न पबंधं तव्विवरीयं तु होइ वोच्छिन्नं । वयछक्ककायछक्काकप्पादी छक्कमेक्कक्कं ।।३।। अक्कप्पादिछक्कमिणं अकप्प गिहिभायणं च पलियंको। तत्तो य गिहिणिसिज्जा होइ सिणाणं च सोभा य॥४॥ एतेसि छक्कगाणं एक्केक्कं जं तु होइ आवण्णो । तं तं आलोएँ तहा पच्छित्ते यावि आयरिओ॥५॥ आलोयणववहारो संवासिपवासिया ऊ अवराहा । संवासिया उ गच्छे पवासिता कारणगतस्स ||६|| अहवा जा अणवठ्ठो ता संवासी तु होति अवराहा । पारंची य पवासी पवसति गच्छाओ जेणं तु ॥७॥ पंचविहो सज्झाओ दाणग्गहणम्मि भइओ संवासे । पावासिए ण दिज्जति ण य गहणं होइ कायव्वं ।।८|| आवन्नगपरिहरिए अणवठे चेव दोण्हऽवेतेसिं । णवि दिज्जति णवि घेप्पति सेसाणं दाणं गहणं च ॥९|| आलोयणाएँ कप्पो एसो भणिओ मए समासेणं । उवसंपयाएँ कप्पं एत्तो उ समासओ वोच्छं ।।१९५०॥ दुविहम्मि आगमम्मि उ परूवणा चेव आयरणया य। पण्णवणगहणअणुपालणाएँ उवसंपया होइ ।।१|| आगमहेउं उवसंपदा उ स य
आगमो भवे दुविहो । सुत्तं अत्थो य तहा पारगए तत्थ उवसंपा ।।२।। दो आयरिया पारग कत्थ उ उवसंपदा तहिं कुज्जा ?। जो णिउणतरं भासति अह निउणं दोवि Horos555555555555555555555555 श्री आगमगणमंजषा - १५११ फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ OM
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