Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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原
(४१) पिंडनिज्जुत्ति
[३८]
पओसेणं भावं नाउं जइस्स आलावो तन्निब्बंधा गहियं हंदि स उ मुक्को सि मा बीयं || ३६९|| ३६९ ३९९) नानिव्विद्वं लब्भइ दासीवि न भुज्जए रिते भत्ता दोन्नेगयरपओसं जं काही अंतरायं च ॥ ३७० ॥ ३७०४००) सामी चारभडा व संजय दवण तेसि अट्ठाए कलुणाणं अच्छेज्जं त्तुं साहूण न कप्पए घेत्तुं ॥ ३७१ ॥ - ३७१ ४०१) आहारोवहिमाई जइअट्ठाए उ कोइ अच्छिदे संखडि असंखडीए तं गिण्हंते इमे दोसा ॥ ३७२ ॥ - ३७२४०२) अचियत्तमंतरायं तेनाहड एगऽणेगवोच्छेओ निच्छुभणाई दोसा तस्स अ वियालऽलंभे य जं पावे || ३७३|| ३७३४०३) तेणो व संजयट्ठा कलुणाणं अप्पणो व अट्ठाए वोच्छेय पओसं वा न कप्पई कप्पऽणुन्नायं ॥३७४॥-३७४ ४०४) संजयभद्दा तेणा आयंती वा असंथरे जइणं जइ देतिं न घेत्तव्वं निच्छुभ वोच्छेउ मा होज्जा ॥ ३७५॥ - ३७५४०५) घयसत्तुयदिट्टंतो समणुन्नाया व घेत्तुणं पच्छा दें ति तयं तेसिं चिय समणुन्नाया व भुंजंति ॥ ३७६ ॥ - ३७६ ४०६) घयसत्तुगदिट्टंतो अंबापाए य तप्पिया पियरो काममकामे धम्मो निओइए ह कयाई॥४॥प.-४ ४०७) अणिसिहं पडिकुट्टं अनुनायं कप्पए सुविहियाणं लड्डुग चोल्लग जंते संखडि खीरावणाईसु ।। ३७७॥ ३७७४०८) बत्तीसा सामन्ने ते कहि हाउं गयत्ति इअ वुत्ते परसंतिएण पुन्नं न तरसि काउंति पच्चाह । ३७८॥ - ३७८ ४०९) अविय हु बत्तीसाए दिन्नेहि तवेग मोयगो न भवे अप्पवयं बहुआयं जइ जाणसि देहि तो मज्झं ||३७९।।-३७९ ४१०) लाभिय नेतो पुट्टो किं लब्द्धं नत्थि पच्छिमो दाए इयरोऽवि आह नाहं देमित्ति सहोढ चोरत्ति ॥ ३८० ॥ - ३८० ४११) गिण्ह कड्ढण ववहार पच्छकडुड्डाह पुच्छ तहय निव्विसए अपहुंमि हुंति दोसा पहुंमि दिन्ने तओ गहणं ॥ ३८१ ॥ - ३८१४१२) एमेव य जंतंमिवि तचल्लग संखडि खीरे य आवणाईसुं सामन्नं पडिकुट्टं कप्पइ घेत्तुं अनुन्नायं ॥ ३८२॥ ३८२४१३) चुल्लत्ति दारमहुणा बहुवत्तव्वंति तं कयं पच्छा वन्ने गुरु सो पुण सामियहत्थीण विन्नेओ ॥३८३||-३८३ ४१४) छिन्नमछिन्नो दुविहो होइ अछिन्नो निसिट्ठ अणिसिट्ठो छिन्नंभि चुल्लगमी कप्पड़ घेत्तुं निसिद्वंमि ॥ ३८४ ॥ ३८४४१५) छिन्नो दिट्ठमदिट्ठो जो य निसिट्ठो भवे अछिन्नो य सो कप्पइ इयरो उण अदिट्ठदिट्ठो वऽणुन्नाओ || ३८५॥। ३८५४१६) अणिसिट्टमनुन्नायं कप्पइ धेत्तुं तहेव अद्दिवं जड्डुस्स य अनिसिद्धं न कप्पई कप्पइ अदि || ३८६|| ३८६४१७) निवपिंडो गयभत्तं गहणाई अंतराइयमदिन्नं डोंबस्स संतिएवि हु अभिक्ख वसहीय फेडणया ||३८७।। ३८७४१८) अज्झोयरओ तिविओ जादंतिय सघरमीसपासंडे मूलंमि य पुव्वकये ओयरई तिण्ह अट्ठाए ॥ ३८८॥ - ३८८ ४१९) तंडुलजलआयाणे पुप्फफले सागवेसणे लोणे परिमाणे नातं अज्झोयरमीसजाए य ॥ ३८९ ॥ - ३८९४२०) जावंतिए विसोही सघरपासंडिमीसए पूई छिन्ने विसोहि दिन्नंमि कप्पई न कप्पई सेसं ॥ ३९०।- ३९० ४२१) छिन्नंमि तओ उक्कडियंमि कप्पइ पिहीकए सेसं आहावणाए दिन्नं च तत्तियं कप्पए सेसं ॥ ३९९ ॥ - ३९१४२२) एसो सोलसभेओ दुहा कीरई उग्गमो एगो विसोहिकोडी अविसोही उ चावरा ॥ ३९२ ॥ ३९२४२३) आहाकम्मुद्देसिंय चरमतिगं पूइ मीसजाए य बायरपाहुडियाविय अज्झोयरए च चरिमदुगं ॥ ३९३॥ - ३९३ ४२४) उग्गमकोडी अवयव लेवालेवे य अकयए कप्पे कंजियआयामगचाउलोयसंसट्ठपूईओ || ३९४ ॥ - ३९४४२५) सुक्केणऽवि जं छिक्कं तु असुइणा धोवए जहा लोए इह सुक्केणऽवि छिक्कं दोवइ कम्मेण भाणं तु ॥ २८॥ भा. - २८४२६) लेवालेवत्ति जं वृत्तं जंपि दव्वमलेवडं तंपि घेत्तु न कप्पंति तक्काइ किमु लेवडं ||२९|| भा.-३९ ४२७) आहाय जं कीरइ तं तु कम्मं वज्जेहिही ओयणमेगमेव सोवीर आ यामग चाउलो वा दगं कम्मंति तो तग्गहणं करेति ॥३०॥भा.-४० ४२८) सेसा विसोहिकोडी भत्तं पाण विगिंच जहसत्तिं अणलक्खिय मीसदवे सव्वविवेगेऽवयव सुद्धो || ३९५ || - ३९५४२९) दव्वाइओ विवेगो दव्वे जं दव्व जं जहिं खेत्तो काले अकालहीणं असढो जं पस्सई भावे || ३९६ || ३९६४३०) सुक्कोल्लसरिसपाए असरिसपाए य एत्थ चउंभगो तुल्लेतुल्लनिवाए तत्थ दुवे दोन्नतुल्ला उ ॥ ३९७।। ३९७४३१) सुक्के सुक्कं पडियं विगिचिउं होइ तं सुहं पढमो बीयंमि दवं छोढुं गालंति दवं करं दाउं ॥ ३९८ ॥ - ३९८४३२) तइयंमि करं छोढुं उल्लिंचइ ओयणाइ जं तरउ दुल्लहदव्वं चरिमे तत्तियमित्तं विगिंचति ॥ ३९९ ॥ - ३९९४३३) संथरे सव्वमुज्झंति चउभंगो असंथरे असढो सुज्झई जे ते सुं मायावी जेसु बज्झई ||४००-४००४३४) कोडीकरणं दुविहं उग्गमकोडी विसोहिकोडी य उग्गमकोडी छक्कं विसोहिकोडी अणेगविहा ||४०१ ॥ - ४०१४३५) नव चेव अढारसगं सत्तावीसा तहेव चउपन्ना नउई दो चेव सया उ सत्तरी होइ कोडीणं ॥ ४०२ ॥ ४०२४३६) सोलस उग्गमदोसे गिहिणोउ समुट्ठिए वियाणाहि
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श्री
आगमगुणमंजूषा - १६१४
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