Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 1729
________________ फफफफफफफफ (४१) पिंहनिज्जुत्ति गिहत्थसद्दाइचिट्ठाए ॥ २२२॥ -२२२२४५) दिन्ना उ ताउ पंचवि रेहाउ करेइ देइ व गणंति देह इओ मा य इओ अवणेह य एत्तिया भिक्खा ॥२२३॥ - २२३२४६) सद्दा इएस साहू मुच्छं न करेज्न गोयरगओ य एसणजुत्तो होज्जा गोणीवच्छो गवत्तिव्व ॥ २२४ ॥ - २२४ २४७) ऊसवमंडणवग्गा न पाणियं वच्छए नविय चारिं वणियागम अवरण्हे वच्छगरडणं खरंटणया ||२२५ ॥ - २२५ २४८) पंचविहविसयसोक्खक्खणी वहू समहियं गिहं तं तु न गणेइ गोणिवच्छो मुच्छिय गढिओ गवत्तंमि ॥२२६॥ - २२६ २४९) गमणागमणुक्खेवे भासिय सोयाइइंदियाउत्तो एसणमणेसणं वा तह जाणइ तम्मणो समणो ॥ २२७॥ -२२७२५०) महईऍ संखडीए उव्वरियं कूरवंजणाईयं पउरं दट्टूण गिही भणइ इमं देहि पुण्णट्ठा ॥ २२८॥ -२२८२५१) तत्थ विभागुद्देसियमेवं संभवइ पुव्वमुद्दिनं सीसगणहियट्ठाए तं चेव विभाग भणइ ||२३|| भा. २३ २५२) उद्देसियं समुद्देसियं च आएसिएं समाएस एवं कडे य कम्मे एक्केकिक चउक्कओ भेओ || २२९ ॥ - २२९ २५३) जावंतियमुद्देसं पासंडीणं भवे समुद्देसं समणाणं आएसं निग्गंथाणं समाएसं ॥ २३०॥ - २३० २५४) छिन्नमछिन्नं दुविहं दव्वे खेत्ते य काल भावे य निप्फइनिप्फन्नं नायव्वं जं जहिं कमइ ||२३१|| - २३१२५५) भत्तुव्वरियं खलु संखडीऍ तद्दिवसमन्नदिवसे वा अंतो बहिं च सव्वं सव्वदिणं देहिं अच्छिन्नं ॥२३२॥ -२३२२५६) देहि इमं मा सेसं अंतो बाहिरगयं व एगयरं जाव अमुगंत्ति वेला अमुगं वेलं च आरम्भ ॥२३३॥ - २३३ २५७) दव्वाईछिन्नंपि हु जइ भणई आरओऽवि मा देह तो कप्पइ छिन्नपि हु अच्छिन्नकडं परिहरंति ॥ २३४ ॥ -२३४२५८) अमुगाणंति व दिज्जउ अमुकाणं मत्ति एत्थ उ विभासा जत्थ जईण विसिट्ठो निद्देसो परिहरति रिज्जा ॥ २३५॥-२३५ २५९) संदिस्संतं जो सुणइ कप्पए तस्स सेसए ठवणा संकलिय साहणं वा करेति असुए इमा मेरा ॥ २३६ ॥ - २३६२६०) मा एयं देहि इमं पुट्ठे सिट्ठमि तं परिहरंति जं दिन्नं तं दिन्नं मा संपइ देहि गेहंति ||२३७|| २३७ २६१) रसभायणहेउं वा मा कुच्छिहिईं सुहं व दाहामि दहिमाई आयत्तं करेइ कूरं कडं एयं ॥ २३८॥ २३८ २६२) मा कार्हति अवण्णं परिकट्ठलियं व दिज्जइ सुहं तु वियडेण फाणिएण व निद्धेण समं तु वट्टंति || २३९ ॥ - २३९२६३) एमेव य कम्मंमिऽवि उण्हवणे नवरि तत्थ नाणत्तं तावियविलीणएणं मोयगचुन्नीपुणक्करणं ॥ २४० ॥ -२४०२६४) अमुगंति पुणो रद्धं दाहमकप्पं तु आरओ कप्पं खेत्ते अंतो बाहिं काले सुइव्वं परेव्वं वा ॥२४९॥-२४१ २६५) जं जह व कयं दाहं तं कप्पर आरओ तहा अकयं कयपाकणिति ठियंपि जावंतियं मत्तुं ॥ २४२॥ - २४२२६६) छक्कायनिरणुकंपा जिणपवयणबहिरा बहिप्फोडा एवं वयंति फोडा लुक्कविलुक्का जह कवोडा || २ ||प. २२६७) पूईकम्मं दुविहं दव्वे भावे य होइ नायव्वं दव्वंमि छगणधम्मिय भावंमि य बायंरं सुहुमं ॥२४३॥ - २४३२६८) गंधाइगुणसमिढं जं दव्वं असुइगंधव्वजुयं पूइत्ति परिहरिज्जइ तं जाणसु दव्वपूइत्ति ॥ २४४॥। २४४२६९) गोट्ठिनिउत्त धम्मी सहाऍ आसन्नगोट्ठिभत्ताए समियसुखल्लमीसं अजिन्न सन्ना महिसिपोहो ॥ २४५॥ -२४५२७०) संजायलित्तभत्ते गोगिगंधोत्ति वल्लवणिआयो उक्खणिय अन्नछंगणेण लिंपणं दव्वपूई ऊ || २४६|| २४६२७१) उग्गमकोडीअवयवमित्तेणवि मीसियं सुसुद्धंपि सुद्वंपि कुणइ चरणं पूई तं भावओ पूई || २४७॥ -२४७ २७२) आहाकम्मुद्देसिय मीसं तह बायरा य पाहुडिया पूई अज्झोयरओ उग्गमकोडी भवे एसा ॥ २४८ ॥ - २४८ २७३) बायर सुहुमं भावे उ पूइयं सुहुममुवरि वोच्छामि उवगरण भत्तपाणे दुविहं पुण बायरं पूइं २७४) चुल्लुक्खलिया डोए दव्वीछूढे य मीसगं पूइं डाए लोणे हिंगू संकामण फोडणे धूमे ॥२५०।- २५०२७५) सिज्झतस्सुवयारं दिज्जंतस्स व करेइ जं दव्वं तं उवकरणं चुल्ली उक्खा दव्वी य डोयाई ॥ २५९॥ - २५१२७६) चुलुक्खा कम्माई आइमभंगेसु तीसुवि अकप्पं पंडिकुटुं तत्थत्थं अन्नत्थगयं अनुन्नायं ॥ २५२॥ - २५२ २७७) कम्मियकद्दममिस्सा चुल्ली उक्खा य फड्डुगजुया उ उवगरणपूइमेयं डोए दंडे व एगयरे ॥ २५३॥२५३ २७८) दव्वीछूढेत्ति जं वृत्तं कम्मदव्वीऍ जं दए कम्मं घट्टिय सुद्धं तु घट्टए ट्टेआ हारपूइयं ॥ २५४ ॥ -२५४२७९) अत्तट्ठिय आयाणे डायं लोणं च कम्मं हिंगुं वा तं भत्तपाणपूई फोडण अन्नं व जं छुहइ ॥ २५५॥ - २५५२८०) संकामेउं कम्मं सिद्धं जंकिंचि तत्थ छूढं वा अंगारधूमि थाली वेसण हेट्ठा मुणीहि धूमो ॥ २५६॥-२५६ २८१) इंधणधूमेगंधे अवयव माईहिं सुहुमपूई उ सुंदरमेयं पूई चोयग भणिए गुरु भणइ ॥ १५७ ॥ २५७ २८२) इंधणधूमेगंधे अवयमाई न पूइयं होइ जेसिं तु एस पुई सोही नवि विज्जए तेसिं ॥२५८॥ - २५८२८३) इंधण अगणी अवयव धूमो बब्भो य अन्नगंधो य सव्वं फुसंति लोयं भन्नइ सव्वं तओ पूई ।। २५९ ।। २५९२८४) ननु श्री आगमगुणमंजूषा १६१० ON 96666666666 [३४]

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