Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai

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Page 1581
________________ (३८-२) पंचकप्पभास पंचम छेयसुतं ] CC%玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明玩乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 चेव । एसो तु संजतो खलु पंचविहो होति णायव्वो।ल० १७३||६|| सामाइयम्मि उ कए चाउज्जामं अणुत्तरं धम्म । तिविहेण फासयंतो सामाइयसंजतो स खलु ल० १७४।७॥ छेत्तूण तु परियागं पोराणं तोठवेति अप्पाणं । धम्मम्मि पंचजामे छेओवट्ठावणा स खलु ॥ल०१७५।।८।। परिहरति जो विसुद्धं पंचज्जामं अणुत्तरं धम्मं । तिविहेण फासयंतो परिहारियसंजतो स खलु ल० १७६।।९।। लोभमणुं वेदितो जो खलु उवसामओ व खवओ वा । सो सुहुमसंपराओ अहखाया ऊणओ किंचि ॥ल० १७७||१००॥ ०उवसंते खीणम्मि व जो खलु कम्मम्मि मोहणिज्जम्मि । छउमत्थो व जिणो वा अहखाओ संजतो स खलु ल० १७८||१|| एतेसि समोतारो दुविहो सट्ठाण तह परट्ठाणे । वोच्छामि आणुपुव्विं जो जत्थ समोयरति तेसिं।२।। जहणुवसंपज्जणता सव्वेसिं चेव पपुच्छियव्वा उ। वाकरण जहाकमसो तेसिं इणमो उ वोच्छामि ।।३।। पुलगो तु पुलागत्तं जहमाणो जहइ सो पुलागत्तं । उवसंपज्जे असंजम अहवावि कसायसीलं तु ॥४|| बउसो उ बउस्सत्तं जहती पडिसेवणं कसायं वा । संजऽसंजम अस्संजमं तु पडिवज्जती सो तु॥५|| पडिसेवणाकुसीलो विजहति पडिहति पडिसेवणाकुसीलत्तं । बउस कसायकुसीलं पडिवज्ज असंजमं वावि ॥६|| अहवावि संजमासंजमं तु पडिवज्जती ततो सोउ। जोवि कसायकुसीलो विजहति सो तू कसायत्तं ॥७|| पुलगं व बाउसंवा अहवा पडिसेवणाकुसीलं तु । पडिवज्ज णियंठं वा अहवावि असंजमं वावि ॥८॥ अहवा संजमसंजम उवसंपज्जे तुसो चुतो तत्तो। णिग्गंठे उ णियंठत्त विजहति तत्तो चुतो संतो॥९|| उवसंपज्ज कसायं सिणाय अहवा असंजमं वावि। विजहति सिणायगत्तं सिणायवो ऊ चुतो तत्तो॥११०|| उवसंपज्जति तत्तो सिद्धिगतिसो पहीणकम्मंसो । एसो तु णियंठाणं समुयारो संजयाणेत्तो॥१॥ सामादिसंजतो तू सामइयत्तं जहन्त किं जहति । किं वा उवसंपज्जे ? एवं पुच्छा उ सव्वेसिं॥२।। सामाइयत्तं जहती सामाझ्यसंजते चुते तत्तो। छेदुवठावणियं वा पडिवज्जति सुहमरागं वाल० १७९||३।। अहवावि संजमासंजमं च अस्संजमं च पडिवज्जे । छेदुवठवणीए पुण विजहति से छेवट्ठवणं । लवपरिहार विसुद्धीयं अहवावी सा तु सुहुमरागंतु। अस्संजम संजमऽसंजमंच पडिवज्जती अहवा ।।ल०१८१॥५॥ परिहारविसुद्धीओ विजहति तत्तो चुत्तोवि तं चेव । उवसंपज्जति छेदं अहवावि असंजमं सो तुल०॥१८२।।६।। विजहति सुहमसरागो ततो चुतो सुहमसंपरायत्तं । उवसंपज्जति सामातिसंजमं छेदमहवावि ल०१८३||७|| अहव अहक्खायं तू अस्संजममहव सोतु पडिवज्जे । अहखातसंजमो पुण अहखायत्तं विजहमाणोल०१८४||८| जहति अहक्खायत्तं उवसंपज्जति सो चुतो तत्तो । सुहुमं च संपरागं अस्संजम सिद्धिगतिमहवा ल० १८५॥९॥ एस समोतारो खलु अहवावि णियंठसंजएसुं तु । संजयनिग्गंथेसु य अवरोप्परतो समोतारो॥१२०|| पुलगबउसाण दुण्हवि सामइछेदेसु तू समोतारो । ओतरति कुसीलो पुण आदिल्लेसुं चऊसुपि ॥१॥ णिग्गंथसिणाता पुण समोतरते तु ते अहक्खाते । एवं तु णियंठा तू ओतरिया संजतेसुं तु ॥२॥ पुलबउसकुसीलेसुं सामइछेदा समोतरंती तु । परिहारसुहुमरागा ओतरति कुसीलएसुं तु ॥३|| ओतरति अहक्खाओ णिग्गंथसिणातएसु दोसुंपि । एमेत समोतरिता अण्णोण्णेसुंजहाकमसो॥४|| उत्तारे सव्वमहव्वयाणि णियमा तु सव्वदव्वेसु । ण तु सव्वपज्जवेहिं जम्हा सामादिए उदितं ॥५|| पढमम्मि सव्वजीवा बीते चरिमे य सव्वदव्वाइं । सेसा महव्वता पुण (खलु) तदेक्कदेसेण दव्वाणं ।।६।। एतेसि णियंठाणं आवण्णाणं तु संजयाणं च । ववहारो होति दुहा पच्छित्ते आभवंते य॥७|| पच्छित्ते पंचविहो आगममादी उहोति णायव्वो। कस्साभवति ण वावी ? सच्चित्तादी तु आमव्वो ||८|| सावराहिस्स ववहारो, अवराहो पडिसेवणा। पडिसेवणा य कतिहा ?, तीसे भेदा इमे भवे ॥९॥ दप्पिया कप्पिया चेव, दुविहा पडिसेवणा । जयणाऽजयणा कप्पी, जयणा सुद्धो तु सेवतो ॥१३०|| जयणासेवी कप्पो जयणाएँ अजयणाए य । आवज्जति सट्ठाणं वणिज्जति वित्थरो कप्पे ||१|| पडिसेवगस्स होति देसम्भंगो य सव्वभंगो य । अवराहे केरिसए देसे दव्वेऽवि सो होति ||२|| पणगादी छेदो एसो खलु होति देसभंगो तु। मूलादि उवरिमेसू णायव्वो सव्वभंगो उ॥३॥ तस्स उ विसुद्धिहेतुं पच्छित्तं तस्स केत्तिया भेदो ?। छट्ठाणादीया खलु परूवणा तेसिमा होति ॥४॥ छसु काएसु वएसुय छव्विह एगिदियादि पंचविहं । संघट्टण परितावण उद्दवणे चेव निप्फण्णं ॥५|| चउहा तुणाणवते दंसणवंते चरित्तवंतेय तत्तो चियत्तकिच्चे अहवादव्वासयं चउहा॥६।। अहवा अतिक्कमादीचउहा कोहाइयं च चउहा ONO兵听听听听听听听乐国乐乐听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐2 in Education International 2010-03 LADEGORELice-Only

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