Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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दशवैकालिक-चयनिका
1. धम्मो मंगलमुक्किटु अहिंसा संजमो तवो।
देवा वि तं नमसंति जस्स धम्मे सया मणो॥
2. जे य कंते पिए भोए लद्ध विप्पिट्टि कुवई ।
साहीणे चयई भोए से हु चाइ ति वुच्चई ॥
3. समाए पेहाए परिव्ययंतो,
सिया मणो निस्सरई बहिद्धा । न सा महं नो वि अहं पि तीसे, इच्चेव तारो विणएज्ज रागं ॥
4. पायावयाही चय सोगुमल्लं,
कामे कमाही कमियं खु दुक्खं । छिदाहि दोसं विणएज्ज रागं,
एवं सुही होहिसि संपराए। 21
[ दशवकालिक

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