Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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37. उसमेण हणे कोहं, माणं मददया जिणे।
मायं चऽज्जवभावेण, लोभं संतोसनो जिणे ।।
38. कोहो य माणो य अणिग्गहीया
माया य लोभो य पवढमाणा । चत्तारि एए कसिणा कसाया
सिंचंति मूलाई पुरणन्मवस्स ।।
39. राइणिएसु विणयं पउंजे
धुवसीलयं सययं न हावएज्जा । कुम्मो व्व अल्लीण-पलीणगुत्तो
परक्कमेज्जा तव-संजमम्मि । 40. निहं च न बहुमन्नेज्जा, सप्पहासं विवज्जए ।
मिहोकहाहि न रमे, सन्झायम्मि रो सया ॥
41. इहलोग-पारत्तहियं जेणं गच्छइ सोग्गई।
बहुसुयं पज्जुवासेज्जा, पुच्छेज्जत्थविणिच्छयं ।।
42. अप्पत्तियं जेण सिपा, आसु कुप्पेज्ज वा परो ।
सम्वसो तं न भासेज्जा भासं अहियगामिणि ॥
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