Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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83. नाणमेगग्ग चित्तो १-२ य ठिश्रो ३ ठावयई परं ४ सुयाणि य अहिज्जित्ता रम्रो सुयसमाहिए २ ॥
84. विविहगुणतवोरए य निच्चं
भवइ निरासए निज्जरट्ठिए । तवसा घुणइ पुराणपावगं जुत्तो सया तवसमाहिए |
85. जिणवयणरए श्रतितिणे पडिपुण्णाययमाययट्ठिए
प्रायारसमाहिसंवडे
32 1
भवइ य दंते भावसंधए ||
86. अभिगम चउरो समाहिश्रो - सुविसुद्धो विजल हियसुहावहं कुव्वइ सो
1
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सुसमाहियत्पश्रो । पुणो पयखेममध्पणो ॥
[ दशवैकालिक

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