Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 52
________________ 78. अलोलुए श्रक्कुहए श्रमायी श्रपिणे यावि श्रदीणवितो । नो भावए नो विय भावियप्पा श्रको उहले य सया, स पुज्जो ॥ 79. गुणह साहू, गेव्हा हि अगुणेहऽसाहू साहूगुण, सुचसाहू | अप्पगमप्पएणं जो राग-दोसेहि समो, स पुज्जो ॥ वियाणिया 80. तहेव डहरं व महत्लगं वा 30.] इत्थी पुमं पव्वइयं गिहि वा । नो हीलए नो वि य खिसएज्जा थंभं च कोहं च चए, स पुज्जो ॥ 81. चिणए १ सुए २ तवे ३ य आधारे ४ निच्चं पंडिया । श्रभिरामयंति श्रप्पाणं जे भवंति जिइंदिया || 82. पेहेइ हियाणुसासनं १ सुस्सूसई २ तं च पुणो अट्टिए ३ । न यमाणमएण मंज्जई ४ farयसमाही आयट्टिए १ ॥ [ दशवैकालिक } {

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