Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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व 3/2 सक धम्मो (धम्म) 1/I ति (अ)=इस प्रकार किच्चा (किच्चा ) संकृ अनि परमग्गसूरे [(परम) + (अग्ग) + (सूर)] [(परम)-(अग्ग)-(सूर) 1/1 वि] जिइंदिए (जिइंदिन) 1/1 वि जो (ज) 1/I सवि सहई. (सह) व 3/1 सक स (त) 1/1 सवि पुज्जो (पुज्ज) 1/1 वि * यहां अनुस्वार का पागम हसा है (हेम प्राकृत व्याकरण : 1-26 वृत्ति
सहित)।
• छन्द की माता की पूर्ति हेतु 'ई' को 'ई' किया गया है । 77. अवण्णवायं [(अवण्ण)-(वाय) 2/1] च (अ)=भी परम्मुहस्स
(परम्मुह) 4/1 वि पच्चक्खनो (क्रिविन)=सार्वजनिक रूप से पडिणीयं (पडिणीया) 2/1 वि च (अं)= विल्कुल भासं (भासा) 2/1 पोहारिणि (मोहारिणी) 2/1 वि अप्पियकारिरिंग (अप्पियकारिणी) 2/1 वि च (अ) =और भासं (भासा) 2/1 न (अ)= नहीं भासेज्ज (भास) व 3/1 सक सया (अ)=सदा स (त) 1/1 सवि पुज्जो (पुज्ज) 1/I वि प्रलोलुए (प्रलोलुए) 1/1 वि अक्कुहए (अक्कुहअ) 1/1 वि अमायी (अमायि) 1/1 वि अपिसुणे (अपिसुण) 1/1 वि यावि (अ)=और प्रदीणवित्ती [(अदीण)-(वित्ति) 1/1] नो (अ)=नहीं भावए
78.
प्रेरक
(भव-+ भावय - भावन) प्रेरक अनि व 3/1 सक नो वि (अ)
=कभी नहीं य (अ)= और भावियप्पा [(भाविय) + (अप्पा)] [(भाविय) भूक-(अप्प) 1/1] अकोउहल्ले (अकोउहल्ल) 1/1 य (अ) =और सया (अ)= सदा स (त) 1/1 सवि पुज्जो (पुज्ज)
1/1 वि 79. गुणेहि* (गुण) 3/2 साहू (साहु) 1/1 अगुणेहऽसाहू ((अगुणे)+
(ह)+(असाहू)] अगुणे (अगुण) 7/1 ह (अ)=ही. असाहू
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