Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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19. जया.(अ)-जव लोगमलोगं [(लोग) + (अलोगं)] लोग (लोग).
2/1 अलोग (अलोग) 2/14 (अ) =और जिणो (जिण) 1/1 जाणइ (जाण) व 3/1 सक केवली (केवलि) 1/1 वि तया (प्र) =तब जोगे (जोग) 2/2 निहभित्ता (निरंभ) संकृ सेलेसि . (सेलेसी) 2/1 पडिवजई* (पडिवज्ज) व 3/1 सक * पूरी या माधी गाथा के अन्त में पाने वाली 'ई' का क्रियापदों में हो
__ जाता है । (पिशल: प्रा. भा. व्या., पृष्ठ 138)। 20. जया (अ)जब जोगे (जोग) 2/2 निरुभित्ता (निरंभ) संकृ
सेलेसि (सेलेसी) 2/1 परिवज्जई* (पडिवज्ज) व 3/1 सक तया (अ)=तव कम्मं (कम्म) 2/1 खवित्तारणं (खव) संकृ.सिद्धि (सिद्धि) 2/1 गच्छद (गच्छ) व 3/1 सक नीरओ (नीरस) 1/I वि
* पूरी या प्राधी गाथा के अन्त में माने वाली 'इ' का क्रियापदों में 'ई' हो
____ जाता है । (पिशलः प्रा. मा. व्या., पृष्ठ 138) 21. तत्पिमं [(तत्य) + (इम)] तत्थ (अ)=वहां पर इमं (इम) 1/1
सवि पढनं (पढम) 1/1 वि ठाणं (ठाण) 1/1 महावीरेण (महावीर) 3/1 देसियं (देस) भूक 1/1 अहिंसा (अहिंसा) 1/1 निउणा
स्त्री (क्रिवित्र) =सूक्ष्म रूप से दिट्ठा (दिदु-~दिट्ठा) भूकृ 1/1 अनि सव्वभूएसु [(सव्व)-(भूप) 7/2] संजमों* (संजम) 1/1
* संजम-संयम-करुणा को भावना, दयाभाव (पाप्टे : संस्कृत-हिन्दी कोश) 22. जावंतिजावं-ति (अ)-जितने भी लोए (लोअ) 7/1 पारणा
(पाण) 1/2 तसा (तस) 1/2 वि अदुव (अ)=अथवा थावरा (थावर) 1/2 वि ते (त) 2/2 सवि जाणमजाणं [(जाणं) + (अजाणं)] जाणं (जाणं) व 1/! अनि अजाणं (अजाणं) व 1/I अनि वा (अ) -या न (अ)-न हणे (हरण) विधि 3/1 सक नो (प्र)=न वि (अ) =भी घायए (घाय) विधि 3/1 सक .
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