Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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35. कोहं ( कोह) 2 / 1 2 / 1
मारणं (माग) 2 / 1 च (अ) =और मायं (माया) * (अ) = और लोभं (लोभ) 2 / 1 पाववड्ढणं [ (पाव) - (वड्ढग ) 2 / 1 वि] वमे ( वम) विधि 3 / 1 सक चत्तारि (चउ) 2/2 दोसे ( दोस) 2/2 उ ( अ ) = निश्चय ही इच्छंतो (इच्छ) वकृ 1/1 हिमपण [ ( हियं ) + (अप्पणो ) ] हियं (हिय) 2 / 1 अप्परणो
( अप्पण) 6/1
* कभी-कभी वाक्यांश को जोड़ने कलए 'च' का प्रयोग दो बार कर दिया जाता है ।
36. कोहो ( कोह) 1 / 1 पीई (पीई) 2 / 1 परणा सेइ (पणास ) व 3/1 सक माणो (माग) 1 / 1 विजयनासणी [ (विरणय ) - ( नासरण) 1/1 वि] माया (माया) 1 / 1 मित्तारिण ( मित्त) 2 / 2 नासेइ (नास) व 3/1 तक लोभी (लोभ) 1/1 सव्वविणासरणो [ ( सव्व) वि- (विरणासण) 1 / 1 वि]
37. उवसमेण ( उवसम) 3 / 1 हरणे
1
2/1 मारणं ( माण ) 2 / ( जिरण) विधि 3 / 1 सक + (प्रज्जव) + (भावेण ) ]
3 / 1 ] लोभं (लोभ) 2 / 1
⭑ संतोसाप्रो == संतोसनो विभक्ति जुड़ते समय दोघं स्वर बहुधा कविता में ह्रस्व हो जाते हैं । (पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 182 ) ।
(हरण) विधि 3 / 1 सक कोहं ( कोह) मध्वया ( मद्दव ) स्वार्थिक 'य' 5 / 1 जिणे मायं (माया) 2 / 1 चऽज्जवभावेण [ (च) च (प्र) = और [ ( प्रज्जव ) - (भाव) संतोस प्रो* ( संतोस ) 5 / 1
1 / 1
38. कोहो ( कोह) 1 / 1 य * (अ) = और मारणो (माग) प्रणिग्गहीया ( प्रणिग्गहीया ) भूकृ 1 / 2 अनि माया ( माया) लोभो (लोभ) 1 / 1 पवड्ढमारणा (पवड्ढ ) वकृ 1 / 2 चत्तारि ( उ )
1 / 1
* वाक्यांश को जोड़ने के लिए कभी-कभी 'य' का प्रयोग दो बार कर दिया जाता है ।
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