Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 68
________________ 12. जया (अ) जव जीवमजीवे [ (जीवं) + (अजीवे)] जीवं (जीव) 2/1 अजीवे (अजीव) 2/2 य (अ)=और दो (दो) 2/2 वि वि (अ) ही एए (एम) 2/2 सवि वियाणई* (वियारण) व 3/1 सक तया (अ)=तव गई (गइ) 2/1 बहुविहं (बहुविह) 2/1 दि सव्वजीवाण [(सव्व)-(जीव) 6/2] जागई* (जाण) व 3/1 सक * पूरी या आधी गाथा के अन्त में माने वाली 'इ' का क्रियापदों में बहुधा 'ई'. हो जाता है । (पिगलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 138)। 13. जया (प्र)-जव गई (गइ) 2/1 बहुविहं (बहुविह) 2/1 वि सव्वजीवाण [(सन्व)-(जीव) 6/2] जाएई* (जाण) व 3/1 सक तया (अ)=तब पुण्णं (पुण्ण) 2/1 च. (अ)=और पावं (पाव) 2/1 बधं (बंध) 2/1 मोक्खं (मोक्ख) 2/1 * पूरी या प्राधी गाया के अन्त में आने वाली 'ई' का क्रियापदों में बहुधा '' हो जाता है । (पिशल: प्राकृत भाषामों का व्याकरण, पृष्ठ 138)। • कभी-कभी वाक्यांश को जोड़ने के लिए 'च' का दो बार प्रयोग कर दिया जाता है। 14. जया (अ)जब पुण्णं (पुण्ण) 2/1 च(अ) और पावं (पाव) 2/1 बंधं (बंध) 2/1. मोक्खं (मोक्ख) 2/1 च (अ)=और जाई* (जाण) व 3/1 सक तया (अ) तव निविदए (निविद) व 3/1 सक भोए (भोर) 2/2 जे (अ)=पाद-पूर्ति दिव्वे (दिव्व) 2/2 वि जे (अ)=पाद-पूर्ति य (अ)=और माणुसे (माणुस) 2/2 वि * पूरी या प्राधी गाथा के अन्त में प्राने वाली 'ई' का क्रियाओं में वहूघा 'ई' हो __ जाता है । (पिशलः प्राकृत भाषामों का व्याकरण, पृष्ठ 138) । 15. जया (अ)जव निविदए (निविद) व 3/1 सक भोए (भोर) 2/2 जे* (अ)-पाद-पूर्ति दिव्वे (दिन्व) 2/2 वि जे* (अ)=पाद पूर्ति य (अ)=और माणुसे (माणुस) 2/2 वि तया (अ) तव चयइ - (चय) व 3/1 सक संजोगं (संजोग) 2/1 सभितरवाहिरं [(स) + 46 ] [दमावकालिक

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