Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
87. सम्मदिट्ठी सया अमूढे
अस्थि हु नाणे तवे य संजमे य : तवसा धुणई .पुराणपावगं
मण-वय-कायसुसंवुडे जे, स भिक्खू ।।
88. न य वुग्गहियं कहं कहेज्जा
न य कुप्पे निहुइदिए पसंते । । संजमधुवजोगजुत्ते
उवसंते अविहेडए जे, स भिक्खू ॥
89. हत्थसंजए
पायसंजए वायसंजए संजईदिए । अझप्परए सुसमाहियप्पा
सुत्तत्थं च वियाणई जे, स भिक्खू ॥
90. अलोलो भिक्खू न रसेसु गिद्धे
उंछ चरे जीविय नाभिकंखे । इट्टि च सकारण पूयणं च
चए ठियप्पा अणिहे जे, स भिक्खू ।।
34 ]
[ दशवकालिक

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103