Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 40
________________ 49. थंभा व कोहा व मय-प्पमाया गुरुस्सगासे विणयं न सिक्खे । सो चेव ऊ तस्स अभूइभावो फलं व कोयस वहाय होइ।। 50. जे यावि मंदे त्ति गुरु विहत्ता . डहरे इमे अप्पसुए ति नच्चा । होलंति मिच्छं पडिवज्जमाणा फरेंति प्रासायण ते गुरूणं ॥ 51. जो पावगं जलियमवक्कमेज्जा पासीविसं वा विहु कोवएज्जा । जो वा विसं खायइ जीवियट्ठी एसोवमाऽऽसायणया गुरुणं ।।.. 52. सिया हु से पावय नो डहेज्जा . . आसीविसो वा कुविमो न भक्खे । सिया विसं हालहलं न मारे । न यावि मोक्खो गुल्हीलणाए । 18 ] [ दशवकालिक

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