Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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58. जहा निसते तवणऽच्चिमाली
पभासई केवल भारहं तु । एवायरिओ सुय-सोल-बुद्धिए
विरायई सुरमझे व इंदो।
59. जहा ससी कोमुइजोगजुत्ते
नक्खत्त-तारागणपरिवुडप्पा । खे सोहई विमले अन्भमुक्के
एवं गरणी सोहइ भिक्खुमझे।
60 महागरा प्रायरिया महेसी
समाहिजोगे सुय-सील-बुद्धिए । संपाविउकामे अणुत्तराई
पाराहए तोसए धम्मकामी।
61. मूलाओ खंधप्पभवो दुमस्स
खंधाओ पच्छा समुर्वेति साला । साह प्पसाहा विरहंति पत्ता
तो से पुष्पं च फलं रसोय ॥
62. एवं-धम्मस्स विणो मूलं, परमो से मोक्खो ।
जेण कित्ति सुयं सग्धं निस्सेसंचाभिगच्छई ।
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[ दशवकालि

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