Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 46
________________ 63. जे य चंडे मिए थद्ध दुव्वाई नियडीसढे । वुन्मई से अविणीयप्पा कट्ठ सोयगयं जहा ।। 64. विणयं पि जो उवाएण चोइसो कुप्पई नरो। दिव्वं सो सिरिमेजति दंडेण पडिसेहए ॥ 65. तहेव प्रविणोयप्पा उववज्झा हया गया। दीसंति दुहमेहंता ग्रामिनोगमुवट्ठिया ।" 66. तहेव सुविणीयप्पा उववज्झा हया गया। ___ दीसंति सुहमेहता इड्ढि पत्ता महायसा ।। 67. तहेव सुविणोयप्पा लोगसि नर-नारियो । ___दोसंति सुहमेहंता इंड्ढि पत्ता महायसा ॥ 68. जे पायरिय-उवज्झायाणं सुस्सूसावयणंकरा। तेसि सिक्खा पवड्दति जलसित्ता इव पायवा ।। 24 ] [ दशवकालिक

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