Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
View full book text
________________
69. दुग्गो वा परोएणं चोइओ वहई रहं ।
एवं दुन्बुद्धि किच्चाणं वुत्तो वुत्तो पफुबई ॥
70. विवत्ती अविणीयस्स, संपत्ती विणियस्स य ।
जस्सेयं दुहरो नायं सिक्खं से अभिगच्छई।
71. जे यावि चंडे मइइड्ढिगारवे
पिसुणे नरे साहस होणपेसणे । अदिदुधम्मे विणए अकोविए
असंविभागी न हु तस्स मोक्खो ॥
72. निद्दे सवत्ती पुण जे गुरूणं
सुयत्थधम्मा विणयम्मि कोविया । तरितु ते पोहमिणं दुरुत्तरं
खवित्तु कम्मं गइमुत्तमं गय ।।
73. पायारमहा विणयं पउंजे
सुस्सूसमाणो परिगिज्झ वक्कं । जहोवइट्ठ अभिकखमाणो
गुरु तु नाऽऽसाययई, स पुज्जो॥
26 ]
[ दशवकालिक

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103