Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 42
________________ 53. जो पन्वयं सिरसा भेत्तुमिच्छे सुत्तं व सीहं पडिबोहएज्जा । जो वा दए सत्तिअग्गे पहारं एसोवमाऽऽसायणया गुरूणं ।। 54. सिया हु सीसेण गिरि पि मिदे सिया हु सीहो कुविमो न भक्खे । सिया न भिदेज्ज व सत्तिअग्गं न यावि मोक्खो गुरुहीलणाए ।। 55. पायरियपाया पुण अप्पसन्ना अबोहि पासायण नस्थि मोक्खो । तम्हा प्राणाबाहसुहाभिकंखी गुरुप्पसायाभिमुहो रमज्जा ।। 56. जस्संतिए धम्मपयाई सिक्खे तस्संतिए वेणइयं पजे । सक्कारए सिरसा पंजलीयो काय गिरा भो ! मणसा य निच्चं ॥ 57. लज्जा, दया संजम बंभचेरं ___ कल्लाणभागिस्स विसोहिठाणं । जे मे गुरू सययमणुसासयंति ते हं गुरू सययं पूययामि ॥ 20 ] [ दशकालिक

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