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इस पुस्तक के अनुवाद एवं इसकी प्रस्तावना को पढ़कर उपयोगी सुझाव दिए । डॉ. उदयचन्द जैन एवं डॉ. हुकमचन्द जैन ( जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय ) तथा डॉ. सुभाष कोठारी व श्री सुरेश सिसोदिया ( श्रागम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर) के सहयोग के लिए आभारी हूँ ।
मेरी धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी सोगाणी ने इस पुस्तक की गाथाओं का मूल ग्रन्थ से सहर्ष मिलान किया है तथा मेरे भतीजे श्री संगम सोगारणी ने प्रूफ-संशोधन का कार्य रुचिपूर्वक किया है, अतः मैं दोनों का आभार प्रकट करता हूँ ।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्राकृत भारती का - दमी, जयपुर के सचिव श्री देवेन्द्रराजजी मेहता तथा संयुक्त सचिव एवं निदेशक महोपाध्याय श्री विनयसागर जी ने जो व्यवस्था की है, उसके लिए उनका हृदय से आभार प्रकट करता हूँ ।
प्रोफेसर
दर्शन विभाग
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर (राजस्थान )
२५.१.८७
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कमलचन्द सोमाणी
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