Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 30
________________ 18. जया सव्वत्तगं नाणं दसरणं चामिगच्छई । तया लोगमलोगं च जिणो जाणइ केवली ।। 19. जया लोगमलोगं च जिणो जाणइ केवली । तया जोगे निरु भित्ता सेलेसि पडिवज्जई। 20. जया जोगे निकै भित्ता सेलेसि पडिवज्जई । तया कम्मं खवित्ताणं सिद्धि गच्छइ नीरनो। 21. तस्थिमं पढमं ठाणं महावीरेण देसियं । अहिंसा निउणा दिट्ठा सन्वभूएसु संजमो॥ 22. जावंति लोए पाणा तसा अदुव थावरा । ते जाणमजाणं वा न हणे नो वि घायए। 23. सव्वजीवा वि इच्छंति जीविख्न मरिज्जिउं । तम्हा पाणवहं घोरं निग्गंथा वज्जयंति णं॥ 24. अप्पणट्ठा परट्ठा वा कोहा वा जइ वा भया । हिसगं न मुसं बूया नो वि अन्नं वयावए। 8 ] . [ दशवकालिक

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