Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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१८ अप्रमादी बन गुरुकी आज्ञाका पालन करना चाहिये इस विषय में भद्रनामक श्रेष्ठीकी पत्नीका दष्टान्त १९ प्रमादका मूल कारण रागद्वेषके त्याग करनेका उपदेश तथा उपसंहार
पांचवाँ अध्ययन
२० अकाम और सकाम मरणके दो भेदोंका वर्णन २१ प्रयोजनसे या विना प्रयोजनसे प्राणिवध करने के विषय में अजापालका दृष्टान्त
२२ हिंसादिमें आसक्त रहनेवालोंका कथन २३ धन और स्त्री आदिमें गृद्ध बने हुवे के कर्मबन्धका वर्णन २४ धन और स्त्री आदिमें गृद्ध रहनेवालेके रोगावस्था प्राप्त होने पर पश्चात्तापका वर्णन
२५ शाकटिकके दष्टान्तसे धन स्त्री आदिमें रत रहने वालेके पश्चात्तापका वर्णन
२६ धन स्त्री आदिमें रत रहने वाले के अकाम मरणका कथन २७ चारित्र धारी जीवोंके सकाम मरणका वर्णन २८ भिक्षुओंकी उत्कृष्टताका वर्णन
२९ द्रव्यलिंगसे रक्षा नहीं होनेका कथन
३० सुत्रतके देवलोक प्राप्तिका कथन
३१ दुर्व्रतमें दुर्मति नामक दरिद्रका दृष्टान्त
३२ सुव्रत में रहनेवाले गृहस्थका वर्णन
३३ संत भिक्षुके मरनेपर उसका स्वर्ग या मोक्षमें गमन
३४ देवोंके आवासोंका और देवोंका वर्णन
३५ संत भिक्षुके और संत गृहस्थके देवत्व प्रासिका वर्णन
३६ शरीरकी असारताका वर्णन
३७ मरण काल समाधिका वर्णन
३८ समाधि मरण के लिये शिष्यको उपदेश
३९ समाधि विषयमें उग्रबुद्धि शिष्यका दृष्टान्त
ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૨
११२-११५
११५ - २०
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१३७-१४०
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