Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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। अन्य साथी पाउडा अंतर कांप्ररूपणा ।
सप्तश चंद्रपज्ञाति सूत्र-पष्ट उपाङ्ग 483
पाहुडा
केइसिग्धगतिवत्ते, किंते दोसिणलक्खणं ॥८॥ चयणोववायं चत्तं, सरिया कति । का कथन है॥ ८ ॥ मत्तर वे पाइडे में चंद्र सर्य के चक्षण उत्पनाका कथन है इम मे मिथ्यावी की प्ररूपनाई रूप पच्चीम परिवृत्ति यो हैं अठारहवे पाइंड में सूर्यादि वे सम भूमे कितने ऊंचे हैं उसका कथन है है इसमें मिथ्यात्वा की प्ररूपना रूप पच्चीस पडिवृत्ति कही उन्नीसवा पाहुड में द्वीपसमुद्र में चंद्र सर्ग वगैरह कितने कहे हैं उसका कथन हैं और बासव पाहुड में चंद्र सूर्य का सुख किस प्रकार . .... पाहुडा अंतर पहुडा व पढिवृत्तियों का यंत्र
उसका कथन पाहुडा र अंतर अन्य तीर्थी
जन्य तीथी कीया है, इस में कीप्ररूपणा.
पाउडा अंतर
कीप्ररूपणा मिथ्यात्व की
पाहुडा रूप पडिवृत्ति रूप पडिवत्ति
रूपना रूप दो १२६
|में राहका भी न कथन है, अठासी महाग्रह काकथन चंद्र प्रज्ञप्तिका ज्ञान दान देना है।
वगैरह कथन है । इन बीस पाहुडे में अंतर पाहुडे कितने हैं, और अन्य तीथि की प्ररूपनारूप परिवृत्तियों कितनी हैं उतका कथनकहा ।
रूप पडिवृत्ति टिवीत है, इस
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