Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१२२ पण्णवणासुत्ते चउत्थे ठिइपए
[सु. ३८०[३] पजत्तगसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं चउरासीइं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
३८०. [१] गब्भवऋतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाई ।
[२] अपज्जत्तयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[३] पजत्तयगब्भवभूतियचउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ।
३८१. [१] उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवतियं १० कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी ।
[२] अपज्जत्तयउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।
[३] पजत्तगउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा ।
३८२. [१] सम्मुच्छिमसामण्णपुच्छा कायव्वा । - गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेवण्णं वाससहस्साई। -
[२] सम्मुच्छिमअपज्जत्तगउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।।
[३] पजत्तगसम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। २० गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेवण्णं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई।
३८३. [१] गन्भवतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी।
[२] अपज्जत्तगगब्भवकंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।
[३] पजत्तगगब्भवकंतियउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहत्तणा।
१. याणं पुच्छा। गोयमा ! ध० ॥ एव वर्तते ॥
२.
- एतच्चिह्नान्तर्गतः पाठः म० आदर्श
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