Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 443
________________ ३९० पण्णवणामुत्ते छब्बीसइमं कम्मवेयबंधपयं। [सु. १७८२ - अट्ठविहबंधए य एगविहबंधए य चउभंगो १५ अहवा सत्तविहबंधगा य छविह- . बंधगे य एगविहबंधए य चउभंगो १९ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छविहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अट्ठ २७, एवं एते सत्तावीसं भंगा। [सुत्तं १७८२. दंसणावरणाइवेदएसु जीवाईसु एगत्त-पुहत्तेणं कम्मबंधपरूवणं] ५ १७८२. एवं जहा णाणावरणिज्जं तहा दरिसणावरणिजं पि अंतराइयं पि । [सुत्ताई १७८३-८४. वेयणिजवेदएसु जीवाईसु कम्मपयडिबंधपरूवणं] १७८३. [१]जीवे णं भंते! वेयणिज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छविहबंधए वा एगविह बंधए वा अबंधए वा। १० [२] एवं मणूसे वि। अवसेसा णारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य । एवं जाव वेमाणिए । १७८४. [१] जीवा णं भंते ! वेदणिजं कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य १५ छबिहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगा य ३ अबंधगेण वि समं दो भंगा भाणियव्वा ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधए य अबंधए य चउभंगो ९, एवं एते णव भंगा। [२] एगिदियाणं अभंगयं । [३] णारगादीणं तियभंगो, जाव वेमाणियाणं । णवरं मणूसाणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधए य अट्ठविहबंधए य अबंधए य, एवं एते सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा जहा किरियासु पाणाइवायविरतस्स (सु.१६४३)। [सुत्ताई १७८५-८६. आउयाइवेदएमु जीवाईसु कम्मपयडिबंधपरूवणं] २५ १७८५. एवं जहा वेदणि तहा आउयं णामं गोयं च भाणियव्वं । १७८६. मोहणिजं वेदेमाणे जहा बंधे णाणावरणिजं तहा भाणयाव्वं (सु. १७५५-६१)। ॥ पण्णवणाए भगवईए छब्बीसइमं कम्मवेयबंधपयं समत्तं ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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