Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 472
________________ ३४. चउतीसइमं पवियारणापयं [सुत्तं २०३२. चउतीसइमपयस्स अत्थाहिगारपरूवणं] २०३२. अणंतरायआहारे १ आहाराभोगणाइ य २। पोग्गला नेव जाणंति ३ अज्झवसाणा य आहिया ४ ॥२२३॥ सम्मत्तस्स अभिगमे ५ तत्तो परियारणा य बोद्धव्वा ६। ५ काए फासे रूवे सद्दे य मणे य अप्पबहुं ॥ २२४॥ [सुत्ताई २०३३-३७. चउवीसदंडएसु १ अणंतराहारदारं] २०३३. जेरइया णं भंते ! अणंतराहारा तओ निव्वत्तणया ततो परियाइयणया ततो परिणामणया ततो परियारणया ततो पच्छा विउवणया ? हंता गोयमा ! णेरइया णं अणंतराहारा तओ निव्वत्तणया ततो परियादियणता तओ १० परिणामणया तओ परियारणया तओ पच्छा विउव्वणया।। २०३४. [१] असुरकुमारा णं भंते ! अणंतराहारा तओ णिव्वत्तणया तओ परियाँइयणया तओ परिणामणया तओ विउव्वणया तओ पच्छा परियारणया? हंता गोयमा! असुरकुमारा अणंतराहारा तओ णिव्वत्तणया जाव तओ पच्छा परियारणया। [२] एवं जाव थणियकुमारा। २०३५. पुढविक्काइया णं भंते ! अणंतराहारा तओ णिवत्तणया तओ परियांइयणया तओ परिणामणया य तओ परियारणया ततो विउव्वणया ? हंता गोयमा ! तं चेव जाव परियारणया, णो चेव णं विउव्वणया। २०३६. एवं जाव चउरिंदिया। णवरं वाउक्काइया पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा णेरइया (सु. २०३३)। २०३७. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा (सु.२०३४)। [सुत्ताई २०३८-३९. चउवीसदंडएसु २ आहाराभोगणादारं] २०३८. णेरइयाणं भंते ! आहारे किं आभोगणिव्वत्तिए अणाभोगणिव्वत्तिए ? गोयमा ! आभोगणिव्वत्तिए वि अणाभोगणिव्वत्तिए वि । २० १. तरगयाहारे जे० विना ॥ २-४. परियायणया पुर। परियाइणया मु०॥ ५. परियाइणया पु२ मु०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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