Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 473
________________ ४२० पण्णवणासुत्ते चउतीसइमे पवियारणापए [सु. २०३९ - २०३९. एवं असुरकुमाराणं जाव वेमाणियाणं । णवरं एगिदियाणं णो आभोगणिवत्तिए, अणाभोगणिव्वत्तिए । [सुत्ताई २०४०-४६. चवीसदंडएमु ३ पोग्गलजाणणादारं] : २०४०. रइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं ५ जाणंति पासंति आहारेंति ? उयाहु ण जाणंति ण पासंति आहारेंति ? गोयमा ! _ण जाणंति ण पासंति, आहारेति । २०४१. एवं जाव तेइंदिया । २०४२. चउरिंदियाणं पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगइया ण जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेति । २०४३. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति १ अत्थेगइया जाणंति न पासंति आहारेंति २ अत्थेगइया ण याणंति पासंति आहारेंति ३ अत्थेगइया ण याणंति ण पासंति आहारेंति ४ । २०४४. एवं मणूसाण वि । २०४५. वाणमंतर-जोतिसिया जहा णेरइया (सु. २०४०)। २०४६. वेमाणियाणं पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति १ अत्थेगइया ण याणंति ण पासंति आहारेंति २। से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चति अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति अत्थेगइया ण जाणंति ण पासंति आहारेंति ? गोयमा ! वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-माइमिच्छद्दिट्ठिउ ववण्णगा य अमाइसम्मद्दिटिउववण्णगा य, एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे भणियं २० (सु. ९९८) तहा भाणियव्वं जाव सेतेणटेणं गोयमा ! एवं वुञ्चति०। [सुत्ताई २०४७-४८. चउवीसदंडएसु ४ अज्झवसाणदारं] २०४७. णेरड्याणं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता १ गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा पण्णत्ता। ते णं भंते ! किं पसत्था अप्पसत्था ? गोयमा! पसत्था वि अप्पसत्था वि। २५ २०४८. एवं जाव वेमाणियाणं। १. वुच्चति वेमाणिया मत्थे जे० पु२ मु०॥ २. मादिमि जे० ॥ ३. अमादिस जे० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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