Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 500
________________ सुद्धिपत्तयं पत्तस्स पंतीए शीर्षके सोहणीयं पण्णवणासुत्ते °पण्णवणा बेंदिय असुद्धं पण्णवण्णासुत्ते °पण्णवण बदिय पूईकरंज आढई अइ जे० ध०॥ छिराली जारू. जीरू णिहुया अट्टई आढई जे. ध० विना ।। छीराली जोरू जीरु णिहु या °° वा पुढवीसु भागे काओय मज्झिमे दस दि रक्खिया वच्छ पुढविसु 'मागे कोओय मज्झिम दसदि रक्खियाइसी भरणादिव्वई पुर मु० विना ईसीपभारा तणुयरी चाइत्ता °दिविहि कतर एक्कारसम तउकाइया दसवास अपजत्तियाणं जहण्णेण महासुक्क छट्ठाण वडिए 'भरणा दिव्वाई पुर विना ईसिपब्भारा तणुययरी चइत्ता दिट्ठीहि कतरे ५८ एक्कारसमें तेउकाइया ११५ १२६ १३१ दस वास अपजत्तियाणं जहण्णणं महामुक्के छटाणवडिए १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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