Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 462
________________ १९३५] जीवाईसु उवओगमेय पमेयपरूवणं । केवलदंसणोवउत्ता ते णं जीवा अणागारोवउत्ता, सेतेणटेणं गोयमा ! एवं वुचति जीवा सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि । १९२९. णेरड्या णं भंते ! किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ? गोयमा ! णेरइया सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि। से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चति ? गोयमा! जेणं णेरइया आभिणिबोहियणाण-सुत-ओहिणाण-मतिअण्णाण-सुतअण्णाण- ५ विभंगणाणोवउत्ता ते णं णेरइया सागारोवउत्ता, जे णं णेरइया चक्खुदंसणअचक्खुदंसण-ओहिदसणोवउत्ता ते णं णेरड्या अणागारोवउत्ता, सेतेण?णं गोयमा! एवं बुच्चति जाव सागारोवउत्ता वि अणागारोवउत्ता वि। १९३०. एवं जाव थणियकुमारा। १९३१. पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा! तहेव जाव जे णं पुढ- १० विकाइया मतिअण्णाण-सुतअण्णाणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया सागारोवउत्ता, जे णं पुढविकाइया अचक्खुदंसणोवउत्ता ते णं पुढविक्काइया अणागारोवउत्ता, सेतेणटेणं गोयमा! एवं वुचति जाव वणप्फइकाइया। १९३२. [१] बेइंदियाणं अट्ठसहिया तहेव पुच्छा गोयमा ! जाव जे णं बेइंदिया आभिणिबोहियणाण-सुतणाण-मतिअण्णाण-सुयअण्णाणोवउत्ता तेणं बेइंदिया १५ सागारोवउत्ता, जे णं बेइंदिया अचक्खुदंसणोवउत्ता ते णं बेइंदिया अणागारोवउत्ता, सेतेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चति । [२] एवं जाव चउरिंदिया। णवरं चक्खुदंसणं अब्भइयं चउरिंदियाणं । १९३३. पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा णेरइया (सु. १९२९)। १९३४. मणूसा जहा जीवा (सु. १९२८)। १९३५. वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा णेरइया (सु. १९२९)। ॥ पण्णवणाए भगवतीए एगूणतीसइमं उवओगपयं समत्तं ॥ १. °याणं भंते ! अट्ट मु०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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