Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 383
________________ ३३० पण्णवणासुत्ते एगवीसहमे ओगाहणसंठाणए [सु. १४८१ - १४८१. एवं तेइंदिय-चउरिंदया वि। १४८२. पंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णते। तं जहा-तिरिक्खपंचेंदियओरालियसरीरे य मणुस्सपंचेंदियओरालियसरीरे य। १४८३. तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णते १ गोयमा ! तिविहे पण्णते। तं जहा-जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदिय ओरालियसरीरे य १ थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य २ खहयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य ३।। १४८४. [१] जलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! १० कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-सम्मुच्छिमजलयर तिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गन्भवकंतियजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य। [२] सम्मुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते १ गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-पज्जत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्ख१५ जोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य अपजत्तगसम्मुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य। [३] एवं गब्भवक्कंतिए वि । १४८५. [१] थलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा-चउप्पयथलयरतिरिक्ख२० जोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य परिसप्पथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य। [२] चउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णते । तं जहा-सम्मुच्छिमचउप्पयथलय रतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य गम्भवकंतियचउप्पयथलयरतिरिक्खजो२५ णियपंचेंदियओरालियसरीरे य। [३] सम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा–पजत्तसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य अपज्जत्तसम्मुच्छिमचउप्पयथलयरतिरिक्खजोणियपंचेंदियओरालियसरीरे य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506