Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पण्णवणासुते चवीसहमे कम्मबंधपए
[सु. १७६२अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंध य छव्विहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छविधाय ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एवं एते व ५ भंगा। सेसा वाणमंतराइया जाव वेमाणिया जहा णेरइया सत्तविहादिबंधगा भणिया (सु. १७५८ [१] ) तहा भाणियव्वा ।
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[ सुतं १७६२. दंसणावरणिजघएस जीवाईसु कम्मपयडिबंधपरूवणं ]
१७६२. एवं जहा णाणावरणं बंधमाणा जाहिं भणिया दंसणावरणं पि धमाणा ताहिं जीवादीया एगत्त- पोहत्तेहिं भाणियव्वा ।
१०
[ सुत्ताई १७६३-६५. वेयणिबंधसु जीवाईसु कम्मपयडिबंधपरूवणं ] १७६३. [१] वेयणिज्जं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंध वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा । [२] एवं मणूसे वि ।
[३] सेसा णारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य जाव १५ वेमाणिए ।
१७६४. जीवा णं भंते! वेयणिज्जं कम्मं० पुच्छा । गोयमा ! सव्वे वि ताव होना सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य २ । १७६५. [१] अवसेसा णारगादीया जाव वेमाणिया जाओ णाणावरणं २० बंधमाणा बंधंति ताहिं भाणियव्वा ।
[२] णवरं मणूसा णं भंते ! वेदणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य २५ एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य
१. 'वरणिजं बं ध० ॥
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