Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 414
________________ १६५१] पावट्ठाणविरएसु जीवाईसु कम्मपगडिबंध-किरियामेयपरूवणं। ३६१ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधगे य अबंधगा य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य अबंधगे य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधगा य ८ एते अट्ठ भंगा। सव्वे वि मिलिया सत्तावीसं भंगा भवंति। १६४४. एवं मणूसाण वि एते चेव सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा । . १६४५. एवं मुसावायविरयस्स जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स य मणूसस्स य। १६४६. मिच्छादसणसल्लविरए णं भंते ! जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छबिहबंधए वा एगविह- १० बंधए वा अबंधए वा। १६४७. [१] मिच्छादसणसल्लविरए णं भंते ! णेरइए कति कम्मपगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा, जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिए। [२] मणूसे जहा जीवे (सु. १६४६)। [३] वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा णेरइए। १६४८. मिच्छादसणसल्लविरया णं भंते ! जीवा कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! ते चेव सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा (सु. १६४३)। १६४९. [१] मिच्छादसणसल्लविरया णं भंते ! णेरड्या कति कम्मपगडीओ बंधंति ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य३। २० [२] एवं जाव वेमाणिया। णवरं मणूसाणं जहा जीवाणं (सु. १६४८)। [सुत्ताई १६५०-६२. पावट्ठाणविरएसु जीवाईसु किरियाभेयपरूवणं] १६५०. पाणाइवायविरयस्स णं भंते ! जीवस्स किं आरंभिया किरिया कन्जति जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजा> ? गोयमा ! पाणाइवायविरयस्स जीवस्स आरंभिया किरिया सिय कन्जइ सिय णो कन्जइ । २५ १६५१. पाणाइवायविरयस्स णं भंते ! जीवस्स पारिग्गहिया किरिया कजइ ? गोयमा ! णो इणढे समझे। १. सर्वेष्वप्यादर्शेषूपलभ्यमानः<>एतच्चिह्नमध्यगतः पाठोऽसङ्गत एव ॥ १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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