Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 415
________________ ३६२ १६५६. एवं जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स मणूसस्स य । १६५७. मिच्छादंसणसल्लविरयस्स णं भंते! जीवस्स किं आरंभिया किरिया कज्जति जाव मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कज्जति ? गोयमा ! मिच्छादंसण१० सल्लविरयस्स जीवस्स आरंभिया किरिया सिय कज्जति सिय नो कज्जति । एवं जाव अप्पञ्चक्खाणकिरियां। मिच्छादंसणवत्तिया किरिया नोकज्जति । १६५८. मिच्छादंसणसल्लविरयस्स णं भंते ! णेरइयस्स किं आरंभिया किरिया कति जाव मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! आरंभिया वि किरिया कज्जति जाव अपच्चक्खाणकिरिया वि कज्जति, मिच्छादंसणवत्तिया किरिया णो कज्जइ । १६५९. एवं जाव थणियकुमारस्स । १५ पण्णवणासुते बावीसइमं किरियापर्यं । [ सु. १६५२ - १६५२. पाणाइवायविरयस्स णं भंते! जीवस्स मायावत्तिया किरिया कजइ ? गोयमा ! सिय कज्जइ सिय णो कज्जति । १६५३. पाणाइवायविरयस्स णं भंते! जीवस्स अप्पच्चक्खाणवत्तया किरिया कज्जति ? गोयमा ! णो इट्ठे समट्ठे | १६५४. मिच्छादंसणवत्तियाए पुच्छा । गोयमा ! नो इणट्ठे समट्ठे । १६५५. एवं पाणाइवायविरयस्स मणूसस्स वि । २० १६६०. मिच्छादंसणसल्लविरयस्स णं भंते! पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स एवमेव पुच्छा । गोयमा ! आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मायावत्तिया किरिया कज्जइ, अपञ्चक्खाणकिरिया सिय कज्जइ सिय णो कज्जइ, मिच्छादंसणवत्तया किरिया it aafa | १६६१. मणूसस्स जहा जीवस्स (सु. १६५७)। १६६२. वाणमंतर - जोइसिय- वेमाणियाणं जहा णेरइयस्स (सु. १६५८) । [सुत्तं १६६३. आरंभियाइकिरियाणं अप्पात्रहुयं ] १६६३. एयासि णं भंते! आरंभियाणं जाव मिच्छादंसणवत्तियाण य करे करेहिंतो अप्पा वा ४ १ गोयमा ! सव्वत्थोवाओ मिच्छादंसणवत्तियाओ २५ किरियाओ, अप्पच्चक्खाणकिरियाओ विसेसाहियाओ, पारिग्गहियाओ विसेसाहियाओ, आरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ, मायावत्तियाओ विसेसाहियाओ । ॥ पण्णवणाए भगवईए बावीसइमं किरियापयं समत्तं ॥ १. या सिय कज्जति सिय नो कज्जति । मिच्छा पु२ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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