Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 396
________________ १५३५] आहारगसरीरे विहि-संठाण-पमाणदाराई । ३४३ [८] जदि सम्मदिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे किं संजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणूसआहारगसरीरे असंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे संजतासंजतसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे ? गोयमा ! संजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्म- ५ भूमगगब्भवभूतियमणूसआहारगसरीरे, णो असंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे णो संजयासंजयसम्मदिटिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे। [९] जदि संजतसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगन्भवतियमणूसआहारगसरीरे किं पमत्तसंजयसम्मदिट्टपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भ- १० वक्रतियमणूसआहारगसरीरे अपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेन्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे ? गोयमा ! पमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्वंतियमणूसआहारगसरीरे, णो अपमत्तसंजतसम्मद्दिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे ।। [१०] जदि पमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भ- १५ वकंतियमणूसआहारगसरीरे किं इड्रिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणूसआहारगसरीरे अणिड्रिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भववंतियमणूसआहारगसरीरे ? गोयमा! इडिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवतियमणूसआहारगसरीरे, णो अणिड्रिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस - २० आहारगसरीरे। [सुत्तं १५३४. आहारगसरीरे संठाणदारं] १५३४. आहारगसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! समचउरंससंठाणसंठिए पण्णते। [सुत्तं १५३५. आहारगसरीरे पमाणदारं] १५३५. आहारगसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं देसूणा रयणी, उक्कोसेणं पडिपुण्णा रयणी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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