Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01
Author(s): Shyamacharya, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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१४३३]
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४. उध्वट्टदारं। [२] एवं जाव थणियकुमारे।
१४२७. [१] पुढविकाइए णं भंते ! पुढविक्काइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता जेरइएसु उववजेज्जा ? गोयमा ! णो इणद्वे समझे।
[२] एवं असुरकुमारेसु वि जाव थणियकुमारेसु वि ।
१४२८. [१] पुढविक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता ५ पुढविक्काइएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! अत्थेगइए उववजेजा, अत्थेगइए णो उववजेजा।
[२] जे णं भंते! उववजेजा से णं केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए ? गोयमा! णो इणढे समटे ।
[३] एवं आउक्काइयादीसु णिरंतरं भाणियव्वं जाव चउरिदिएसु । [४] पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-मणूसेसु जहाणेरइए (सु.१४२०-२१)। १० [५] वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु पडिसेहो।
१४२९. एवं जहा पुढविक्काइओ भणिओ तहेव आउक्काइओ वि वणप्फइकाइओ वि भाणियव्वा ।
१४३०. [१] तेउक्काइए णं भंते ! तेउक्काइएहितो अणंतरं उब्वट्टित्ता णेरइएसु उववजेज्जा १ गोयमा ! णो इणढे समढे।
[२] एवं असुरकुमारेसु वि जाव थणियकुमारेसु वि।।
१४३१. [१] पुढविक्काइय-आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइ-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिएसु अत्थेगइए उववजेजा, अत्थेगइए णो उववजेजा।
[२] जे णं भंते ! उववजेजा से णं केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेजा सवणताए ? गोयमा ! नो इणढे समढे।
१४३२. [१] तेउक्काइए णं भंते ! तेउक्काइएहिंतो अणंतरं उव्वट्टित्ता पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजेजा १ गोयमा ! अत्थेगइए उववजेजा, अत्थेगइए णो उववजेजा।
[२] जे णं भंते ! उववज्जेज्जा से णं केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए १ . गोयमा ! अत्यंगइए लभेजा, अत्थेगइए णो लभेजा ।
[३] जे णं भंते ! केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए से णं केवलं बोहिं बुझेजा १ गोयमा ! णो इणढे समढे ।
१४३३. मणूस-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु पुच्छा । गोयमा ! णो इणढे समढे ।
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