Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयचन्द्रिका टीका ९ उ० ३२ सू १ गांगेयान गारवक्तव्यता
गाङ्गेयानगारवक्तव्यता अनन्तरोदेशके केवल्यादिवचनं श्रुत्वा केवलज्ञानमुत्पादयेदिति प्रतिपादितम् , अस्मिन् उद्देशके तु येन केवलिवचनं श्रुत्वा केवलज्ञानमुत्पादितं तं प्रतिपादयितुमाह-' तेणं कालेणं' इत्यादि । ____ मूलम्-तेणं कालेणं, तेणं समएणं वाणियगामे नामं नयरे होत्था, वण्णओ, दुइ पलासे चेइए, समोसढे, परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे गंगेए नामं अणगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्त भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी -संतरं भंते ! नेरइया उववज्जंति, निरंतरं नेरइया उववज्जति? गंगेया ! संतरंपि नेरइया उववज्जंति, निरंतरंपि नेरड्या उववज्जति । संतरं भंते ! असुरकुमारा उववज्जंति? निरंतरं असुरकुमारा उववज्जति गंगेया! संतरंपि असुरकुमारा उववज्जति, निरंतरंपि असुरकुमारा उववज्जंति, एवं जाव थणियकुमारा । संतरं भंते ! पुढविकाइया उववज्जति, निरंतरं पुढविकाइया उववज्जति ? गंगेया ! नो संतरं पुढविकाइया उववज्जंति, निरंतरं पुढविकाइया उववज्जंति, एवं जाव वणस्सइकाइया, बेइंदिया जाव वेमाणिया एए जहा नेरइया ॥ सू० १॥ __ छाया-तस्मिन् काले तस्मिन् समये वाणिज्यग्राम नाम नगरम् आसीत् ,
गाङ्गेय अनगार वक्तव्यता(तेणं कालेणं तेणं समएणं) इत्यादि। सूत्रार्थ- (तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नयरे होत्था)
ગાંગેય અણગાર વક્તવ્યતા" तेण कालेण तेण समएण" त्याहसूत्राथ-(तेण कालेण तेण समएण वाणियगामे नाम नयरे होत्था)
શ્રી ભગવતી સૂત્ર: ૮
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