Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 263
________________ २०४ वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स०५ उ०५-६ [पंचमो उद्देसओ.'छउम'] [सु. १. छउमत्थं पडुच्च केवलेणं संजमेणं असिज्झणावत्तव्यया] १. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तीयमणंतं सासतं समयं केवलेणं संजमेणं० जहा पढमसए चंउत्थुद्देसे आलावगा तहा नेयव्वं जाव ‘अलमत्थु' त्ति वत्तव्वं सिया। ५ [सु. २-४. जीव-चउपीसदंडएसु एवंभूय-अणेवंभूयधेयणावत्तव्यया] ___२. [१] अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूवेंति सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जं णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वेदेति, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति । [२] से केणटेणं अत्थेगइया० तं चेव उच्चारेयव्वं । गोयमा ! जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा तहा वेदणं वेदेति ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति । जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा १५ कम्मा नो तहा वेदणं वेदेति ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति । से तेणद्वेणं० तहेव । ३. [१] नेरतिया णं भंते! किं एवंभूतं वेदणं वेदेति ? अणेवंभूयं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! नेरइया णं एवंभूयं पि वेदणं वेदेति, अणेवंभूयं पि वेदणं वेदेति। [२] से केण?णं ०१ तं चेव । गोयमा! जे णं नेरइया जहा कडा कम्मा २. तहा वेयणं वेदेति ते णं नेरइया एवंभूयं वेदणं वेदेति । जे णं नेरतिया जहा कडा कम्मा णो तहा वेदणं वेदेति ते णं नेरइया अणेवंभूयं वेदणं वेदेति। से तेण?णं० । ४. एवं जाव वेमाणिया । संसारमंडलं नेयव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ ॥ ॥ पंचमसए पंचमो उद्देसओ समत्तो ॥ ५.५॥ १. चउत्थे उद्देसे ला २॥ २. नेयधा मु० ॥ ३. °मादिक्खा ला २॥ ४. नेयव्वं । जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे उस्स(ओस मु०)प्पिणीसमाए कइ कुलगरा होत्था ? गोयमा ! सत्त ७ । एवं तिस्थयरा, [तित्थयर मु०] मायरो पियरो पढम(पढमा मु०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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