Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 433
________________ ३७४ वियाहपण्णत्तिसुतं [स० ८ उ०८ साईयं सपज्जवसियं बंधइ, नो साईयं अपज्जवसियं बंधइ, नो अणाईयं सपज्जवसियं बंधइ, नो अणाईयं अपज्जवसियं बंधइ । १६. तं भंते ! किं देसेणं देसं बंधइ, देसेणं सव्वं बंधइ, सव्वेणं देसं बंधइ, सव्वेणं सव्वं बंधइ ? गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ, णो देसेणं सव्वं ५ बंधइ, नो सव्वेणं देसं बंधइ, सव्वेणं सव्वं बंधइ । [सु. १७-२०. घिविहअवेक्खाए वित्थरओ संपराइयबंधसामिपरूवणा] १७. संपराइयं णं भंते ! कम्मं किं नेरइयो बंधइ, तिरिक्खजोणीओ बंधइ, जाव देवी बंधइ ? गोयमा ! नेरइओ वि बंधइ, तिरिक्खजोणीओ वि बंधइ, तिरिक्खजोणिणी वि बंधइ, मणुस्सो वि बंधइ, मणुस्सी वि बंधइ, देवो १० वि बंधइ, देवी वि बंधइ । १८. तं भंते ! किं इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ, तहेव जाव नोइत्थीनोपुरिसोनोनपुंसओ बंधइ ? गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, जाव नपुंसगो वि बंधद। अहवेए य अवगयवेदो य बंधइ, अहवेए य अवगयवेया य बंधति । १५ १९. जइ भंते! अवगयवेदो य बंधइ अवगयवेदा य बंधति तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ, पुरिसपच्छाकडो एवं जहेव इरियावहियाबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य, पुरिसपच्छाकडा य, नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति। २०. तं भंते! किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ, बंधी बंधइ न बंधिस्सइ २; २० बंधी न बंधइ, बंधिस्सइ ३; बंधी न बंधइ, न बंधिस्सइ ४१ गोयमा! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ १; अत्थेगतिए बंधी बंधइ, न बंधिस्सइ २, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ, बंधिस्सइ ३, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ४ । [सु. २१-२२. संपराइयबंधं पडुच्च सादिसपञ्जयसियाइ देससव्वाइबंधपरूपणा] २१. तं भंते ! किं साईयं सपज्जवसियं बंधइ ? पुच्छा तहेव । गोयमा ! साईयं वा सपज्जवसियं बंधइ, अणाईयं वा सपज्जवसियं बंधइ, अणाईयं वा अपज्जवसियं बंधइ, णो चेव णं साईयं अपजवसिय बंधइ । २५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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