Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वियाहपण्णत्तिसुत्तं [स०९ उ० ३२ धूमप्प०, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २४ । अहवा एगे सक्करप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २५। अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए होना २६। अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे तमाए होजा २७ । अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे पंकप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २८। अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होजा २९ । अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होन्जा ३० । अहवा एगे वालुयप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होजा ३१। अहवा एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए होजा ३२ । अहवा
एगे पंकप्पभाए, एगे धूमप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होना ३३। अहवा एगे १० पंकप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होजा ३४ । अहवा एगे धूमप्पभाए, एगे तमाए, एगे अहेसत्तमाए होजा ३५। ८४'।
१९. चत्तारि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणए णं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होजा०? पुच्छा। गगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७ ।
____ अहवा एगे रयणप्पभाए, तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा १ । अहवा एगे रयणप्पभाए, तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा २। एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए, तिण्णि अहेसत्तभाए होज्जा ३-६। अहवा दो रयणप्पभाए, दो सक्करप्पभाए होजा १, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए, दो अहेसत्तमाए होजा २-६-१२।
___ अहवा तिण्णि रयणप्पभाए, एगे सक्करप्पभाए होज्जा १ । एवं जाव अहवा २० तिण्णि रयणप्पभाए, एगे अहेसत्तमाए होज्जा २-६-१८ ।
१. त्रीन् नैरयिकान् प्रतीत्य नरकप्रवेशनकेऽत्र एकसंयोगे , द्विकसंयोगे ४२, त्रिकसंयोगे ३५ भङ्गाः, सर्वमिलने ८४ भङ्गाः॥ २. एते एकसंयोगे ७ भङ्गाः॥ ३. 'एवं जाव' इत्यनेन 'अहवा एगे रयणप्पभाए, तिण्णि पंकप्पभाए होजा ३। अहवा एगे रयणप्पभाए, तिण्णि धूमप्पभाए होज्जा ४। अहवा एगे रयणप्पभाए, तिण्णि तमप्पभाए होजा ५' इति तृतीय-चतुर्थपञ्चमभङ्गा ज्ञेयाः ॥ ४. 'एवं जाव' इत्यनेन 'अहवा दो रयणप्पभाए, दो वालुयप्पभाए होज्जा, २। अहवा दो रयणप्पभाए, दो पंकप्पभाए होज्जा ३ । अहवा दो रयणप्पभाए, दो धूमप्पभाए होजा ४ । अहवा दो रयणप्पभाए, दो तमाए होजा ५।' इति द्वितीय-तृतीय-चतुर्थ-पञ्चमभङ्गा ज्ञेयाः ॥ ५. “एवं जाव' इत्यनेन 'अहवा तिण्णि रयणप्पभाए, एगे वालयप्पभाए २ । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए, एगे पंकप्पभाए ३। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए, एगे धूमप्पभाए ४ । अहवा तिणि रयणप्पभाए, एगे तमाए ५।' इति द्वितीय-तृतीय-चतुर्थ-पञ्चमभङ्गा क्षेयाः॥
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