Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 506
________________ सु०४६-५१] चउवीसदंडएसु उववाय-उव्वट्टणापरूवणा ४४७ एवं जाव वणस्सइकाइया। सेसा जहा नेरइया, नवरं जोइसिय-वेमाणिया चयंति अभिलावो, जाव संतरं पि वेमाणिया चयति, निरंतरं पि वेमाणिया चयति । [सु. ४९-५७. पयारंतरेण चउघीसदंडएसु उपवाय-उद्धट्टणापरूषणा] ४९. सेओ भंते ! नेरतिया उववजंति ? असओ भंते ! नेरइया उववजंति ? गंगेया ! सैओ नेरईया उववजंति, नो असओ नेरइया उववति । एवं जाव ५ वेमाणिया। ५०. सैओ भंते ! नेरतिया उव्वदृति, अंसओ नेरइया उव्वदृति ? गंगेया ! सेतो नेरइया उव्वटुंति, नो असओ नेरइया उव्वट्ठति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसिय-वेमाणिएसु 'चयंति' भाणियव्वं । ५१. [१] सओ भंते ! नेरइया उववजंति, असओ नेरइया उववजंति ? १० सओ असुरकुमारा उववजंति जाव सतो वेमाणिया उववजंति, असतो वेमाणिया उववनंति ? सतो नेरतिया उव्वटुंति, असतो नेरइया उव्वटुंति ? सतो असुरकुमारा उव्वटुंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, असतो वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जति, नो असओ नेरइया उववज्जति, सओ असुरकुमारा उववजंति, नो असतो असुरकुमारा उववजंति, जाव सओ १५ वेमाणिया उववजंति, नो असतो वेमाणिया उववज्जति । सतो नेरतिया उव्वटुंति, नो असतो नेरइया उव्वटुंति; जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया०। [२] से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ सतो नेरइया उववजंति, नो असतो नेरइया उववजति; जाव सओ वेमाणिया चयंति, नो असओ वेमाणिया चयंति ? २० से नणं गंगेया ! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए, अणाईए अणवयम्गे जहा पंचमे सए (स० ५ उ० ९ सु० १४ [२]) जाव जे लोक्का से लोए, से तेणटेणं गंगेया ! एवं वुच्चइ जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति। १. सांतरं ला १॥ २. संवो मु० ॥ ३. असंतो मु०॥ ४. “सओ नेरइया उववनंति त्ति सन्तः-विद्यमाना......नारका उत्पद्यन्ते,......। अथवा सओ त्ति विभक्तिपरिणामात् सत्सु प्रागुत्पन्नेष्वन्ये समुत्पद्यन्ते, नासत्सु ।" अवृ०॥ ५. नूणं भंते! गंगेया! मु०॥ ६. से एएणटेणं ला १॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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