Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 501
________________ ४४२ १० विवाहपण्णन्तिसुतं [स० ९उ० ३२ रयणप्पभाए जाव पंक०, तमाए य होज्जा २ । अहवा रयण० जाव पंक०, असत्तमाए य होज्जा ३ | अहवा रयण०, सक्कर०, वालुय०, धूम०, तमाए य star ४ । एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा पंचन्हं पंचकसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयण०, पंकप्पभा०, जाव अहेसत्तमाए होजी १५ । अहवा रयण०, सक्कर, जाव धूमप्पभाए, तमाए य होज्जा १ । अहवा रयण ०, जाव धूम०, अहेसत्तमाए य होज्जा २ । अहवा रयण०, सक्कर ०, जाव पंक०, तमाए य, अहेसत्तमाए य होज्जा ३ | अहवा रयण०, सक्कर ०, वालुय० " धूमप्पभाए, तमाए, अहेसत्तमाए होज्जा ४ | अहवा रयण०, सक्कर०, पंक० जाव अहेसत्तमाए य होज्जा ५ | अहवा रयण०, वालुय०, जाव अहेसत्तमाए होजो ६ । अहवा रयणप्पभाए य, सक्कर०, जाव अहेसत्तमाए होजा १ । [सु. २९. रयणप्पभादिनेरइयपवेसणगस्स अप्पाचहुर्य] २९. एयस्स णं भंते! रयणप्पभपुढविनेरइयपवेसणगस्स सकरप्पा - पुढवि० जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिए वा १ गंगेया ! सव्वत्थोवे असत्तमपुढविनेरइयपवेसणए, तमापुढवि१५ नेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे, एवं पडिलोमगं जाव रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे । [सु. ३० - ३४. तिरिक्खजोणियपधेसणगपरूवणा ] [सु. ३०. तिरिक्खजोणियपवेसणगस्स पंच भेया] ३०. तिरिक्खजोणियपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गंगेया ! २० पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - एगिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए । १. अत्र पञ्चकसंयोगे पञ्चदश भङ्गा इत्थम् - १२३४५ १२३४६ । १२३५७। १२३६७ । १२४५६ | १२३४७ । १२३५६ । १२४५७। १२४६७ । १२५६७। १३४६७। १३५६७ । १४५६७॥ ॥ १३४५६ । १३४५७। २. अत्र षट्कसंयोगे षड् भङ्गा इत्थम् - १२३४५६ । १२३४५७ । १२३ ४६७।१२३५६७।१२४५६७।१३४५६७ ॥ ३. अत्र सप्तकसंयोगे एक एव भङ्गः ॥ ४. भाए पुढवि' ला १ ॥ ५. 'माए पुढ° ला १ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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