Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 502
________________ ४४३ सु० २९-३५] तिरिक्खजोणियपवेसणगपरूवणा [सु. ३१-३२. तिरिक्खजोणियपवेसणए पविसमाणाणं एगादिअसंखेजाणं तिरिक्खजोणियाणं एगिदियाइपंचेंदिए पडुच्च भंगपरूषणा] ३१. एगे भंते ! तिरिक्खजोणिए तिरिक्खजोणियपवेसणए णं पविसमाणे किं एगिदिएसु होजा जाव पंचिंदिएसु होजा ? गंगेया ! एगिदिएसु वा होजा जाव पंचिंदिएसु वा होजा। ३२. दो भंते ! तिरिक्खजोणिया० पुच्छा । गंगेया ! एगिदिएसु वा होजा जाव पंचिंदिएसु वा होजा ५। अहवा एगे एगिदिएसु होजा एगे बेइंदिएसु होजा। एवं जहा नेरइयपवेसणए तहा तिरिक्खजोणियपवेसणए वि भाणियव्वे जाव असंखेजा।। [सु. ३३. पयारंतरेणं तिरिक्खजोणियपवेसणगपरूवणा] ३३. उक्कोसा भंते ! तिरिक्खजोणिया० पुच्छा। गंगेया ! सव्वे वि ताव एगेंदिएसु वा होजा। अहवा एगिदिएसु वा बेइंदिएसु वा होजा। एवं जहा नेरतिया चारिया तहा तिरिक्खजोणिया वि चारेयव्वा। एगिदिया अमुयंतेसु दुयासंजोगो तियासंजोगो चउक्कसंजोगो पंचसंजोगो उवउजिऊण भाणियन्वो जाव अहवा एगिदिएसु वा बेइंदिय जाव पंचिंदिएसु वा होजा। १५ [सु. ३४. एगिदियादितिरिक्खजोणियपषेसणगस्स अप्पाबहुयं] ३४. एयस्स णं भंते ! एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणगस्स जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणयस्स य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिए वा ? गंगेया! सव्वत्थोवे पंचिंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए, चउरिंदियतिरिक्खजोणियप० विसेसाहिए, तेइंदिय० विसेसाहिए, बेइंदिय० विसेसाहिए, एगिदियतिरिक्ख० २० विसेसाहिए। [सु. ३५-४१ मणुस्सपवेसणगपरूषणा] [सु. ३५. मणुस्सपधेसणगस्स दो भेया] ३५. मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पन्नते १ गंगेया ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मुच्छिममणुस्सपवेसणए, गब्भवक्कंतियमणुस्सपवेसणए य। २५ १. हुज्जा ला १॥ २. अमुंचतेसु मु० ॥ ३. उवयुज्जि° ला १॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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