Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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सु० १०५-२३] पयोगबंधस्स वित्थरओ परूवणा
३९५ ११५. णाणावरणिजकम्मासरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! अणाईयस्स० एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं तहेव ।
११६. एवं जाव अंतराइयस्स ।
११७. एएसि णं भंते ! जीवाणं नाणावरणिजस्स देसबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कयरेहिंतो० जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्स।
११८. एवं आउयवजं जाव अंतराइयस्स।
११९. आउयस्स पुच्छा। गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा आउयस्स कम्मस्स देसबंधगा, अबंधगा संखेजगुणा।
[सु. १२०-१२८. ओरालियाईणं पंचण्हं सरीराणमण्णोण्णं
सव्व-देसबंधवत्तव्धया] १२०. [१] जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते ! वेउब्वियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए ? गोयमा ! नो बंधए, अबंधए ।
[२] आहारगसरीरस्स किं बंधए, अबंधए ? गोयमा ! नो बंधए, अबंधए। . [३] तेयासरीरस्स किं बंधए, अबंधए १ गोयमा ! बंधए, नो अबंधए। १५
[४] जइ बंधए किं देसबंधए, सबबंधए ? गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंधए।
[५] कम्मासरीरस्स किं बंधए, अबंधए १ जहेव तेयगस्स जाव देसबंधए, नो सव्वबंधए।
१२१. जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! वेउव्विय- २० सरीरस्स किं बंधए, अबंधए १ गोयमा ! नो बंधए, अबंधए ।
१२२. एवं जहेव सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स।
१२३. [१] जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए, अबंधए १ गोयमा ! नो बंधए, अबंधए। २५
[२] आहारगसरीरस्स एवं चेव।
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