Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 435
________________ ३७६ वियाहपण्णत्तिसुतं [स०८ उ०८ २९. अंतराइए णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरइ। [सु. ३०-३४. अट्टविह-सत्तविह-छव्विह-एक्कषिहबंधगे अबंधगे य परीसहसंखापरूषणा] ३०. सत्तविहबंधगस्स णं भंते! कति परीसहा पण्णता ? गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णता, वीसं पुण वेदेइ-जं समयं सीयपरीसहं वेदेति णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ णो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ । जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं निसीहियापरीसहं वेदेति, जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ । ३१. अट्ठविहबंधगस्स णं भंते! कति परीसहा पण्णत्ता १ गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णता० एवं (सु. ३०) अट्ठविहबंधगस्स । ३२. छन्विहबंधगस्स णं भंते ! सरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता १ गोयमा ! चोस परीसहा पण्णत्ता, बारस पुण वेदेइ-जं समयं सीय परीसहं वेदेइ णो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ १५ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ। जं समयं चरियापरीसहं वेदेति णो तं समयं सेनापरीसहं वेदेइ, जं समयं सेजापरीसह वेदेति णो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ। ३३. [१] एक्कविहबंधगस्स णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एवं चेव जहेव छव्विहबंधगस्स। [२] एगविहबंधगस्स णं भंते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा २. पण्णत्ता १ गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ। सेसं जहा छविहबंधगस्स। ३४. अबंधगस्स णं भंते ! अजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णता ? गोयमा ! ऐक्कारस परीसहा पण्णत्ता, नव पुण वेदेइ, जं समयं १. “यत्र समये" अवृ०॥ २. °त्ता, तं ब्रहा-छुहापरीसहे पिवासापरीसहे सीयपरीसहे दंसपरीसहे मसगपरीसहे जाव अलाभपरीसहे। एवं भट्ठषिहबंधगस्स लिखितप्रत्यन्तरे, मुद्रिते तु एतत्पाठानन्तरं 'वि, सत्तविहबंधगस्स वि' इत्यधिकपाठसहितं मूलेऽस्ति ॥ ३. चउद्दस ला १॥ ५.सिज्जा ला ॥ ५. इकारस ला १॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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