Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 01
Author(s): Bechardas Doshi, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वियाहपण्णत्तिसुत्तं
[स०८ उ०५ मणसा वयसा ३८; अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा कायसा ३९; अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा ४० । एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा ४१; अहवा न करेति वयसा ४२; अहवा न करेति कायसा ४३, अहवा
न कारवेति मणसा ४४; अहवा न कारवेति वयसा ४५, अहवा न कारवेइ ५ कायसा ४६; अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा ४७, अहवा करेंतं नाणुजाणति वयसा ४८; अहवा करत नाणुजाणइ कायसा ४९।।
[३] पडुप्पन्नं संवरमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ? एवं जहा पडिक्कममाणेणं एगूणपण्णं भंगा भाणया एवं संवरमाणेण वि एगूणपण्णं भंगा भाणियव्वा।
[४] अणागतं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पञ्चक्खाइ ? एवं ते चेव भंगा एगूणपण्णं भाणियव्वा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ।
७. समणोवासगस्स णं भंते! पुवामेव थूलमुसावादे अपञ्चक्खाए भवइ, से णं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवातस्स सीयोलं भंगसतं (१४७) भणितं तहा मुसावादस्स वि भाणियव्वं ।
८. एवं अदिण्णादाणस्स वि। एवं थूलगस्स मेहुणस्स वि। थूलगस्स परिग्गहस्स वि जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ।
[सु. ९. समणोषासग-आजीषियोवासगाणं भिन्नतानिदेसो]
९. एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा औजीवियोवासगा भवंति।
[सु. १०. आजीवियसमयपरूवणा] १० आँजीवियसमयस्स णं अयमढे पण्णत्ते-अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता, से हंता छेत्ता भता लुंपित्ता विलंपित्ता उद्दवइत्ता आहारमाहारेति ।
१. एकवि ला १॥ २. सीतालं ला १॥ ३. “गोशालकशिष्यश्रावकाः ।" अवृ०॥ .. “आजीविकसमयः-गोशालकसिद्धान्तः, तस्य 'अयम?' त्ति इदमभिधेयम्" अवृ०॥ ५. “अक्खीणपरिभोइणो-अक्षीणम्-अक्षीणायुष्कमप्रासुकम् परिभुञ्जते इत्येवंशीला अक्षीणपरिभोजिनः अथवा इन्प्रत्ययस्य स्वार्थिकत्वात्. अक्षीणपरिभोगाः अनपगताहारभोगासकयः" अवृ०॥ ६. "हंत त्ति हत्वा लगुडादिना" अवृ०॥ ७. ओदव ला १॥
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