Book Title: Agam 04 Samvayang Sutra Hindi Anuwad Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar View full book textPage 8
________________ आगम सूत्र ४, अंगसूत्र-४, 'समवाय' समवाय/ सूत्रांक समवाय-३ सूत्र-३ तीन दण्ड कहे गए हैं, जैसे-मनदंड, वचनदंड, कायदंड । तीन गुप्तियाँ कही गई हैं, जैसे-मनगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति । तीन शल्य कहे गए हैं, जैसे-मायाशल्य, निदानशल्य, मिथ्यादर्शन शल्य । तीन गौरव कहे गए हैं, जैसे-ऋद्धिगौरव, रसगौरव, सातागौरव । तीन विराधना कही गई हैं, जैसे-ज्ञानविराधना, दर्शनविराधना, चारित्र-विराधना। मृगशिर नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है । पुष्य नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है । ज्येष्ठा नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है । अभिजित् नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है । श्रवण नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है। अश्विनी नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है । भरणी नक्षत्र तीन तारा वाला कहा गया है। इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकियों की स्थिति तीन पल्योपम कही गई है । दूसरी शर्करा पृथ्वी में नारकियों की उत्कृष्ट स्थिति तीन सागरोपम कही गई है। तीसरी वालुका पृथ्वी में नारकियों की जघन्य स्थिति तीन सागरोपम कही गई है। कितनेक असुरकुमार देवों की स्थिति तीन पल्योपम कही गई है । असंख्यात वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम कही गई है । असंख्यात वर्षायुष्क संज्ञी गर्भोपक्रान्तिक मनुष्यों की उत्कृष्ट स्थिति तीन पल्योपम कही गई है। सनत्कुमार-माहेन्द्रकल्पों में कितनेक देवों की स्थिति तीन सागरोपम कही गई है । जो देव आभंकर, प्रभंकर, आभंकर-प्रभंकर, चन्द्र, चन्द्रावर्त, चन्द्रप्रभ, चन्द्रकान्त, चन्द्रवर्ण, चन्द्रलेश्य, चन्द्रध्वज, चन्द्रशृंग, चन्द्रसृष्ट, चन्द्रकूट और चन्द्रोत्तरावतंसक नाम वाले विशिष्ट विमानों से देवरूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की उत्कृष्ट स्थिति तीन सागरोपम कही गई है । वे देव तीन अर्धमासों में (डेढ़ मास में) आन-प्राण अर्थात् उच्छ्वासनिःश्वास लेते हैं । उन देवों को तीन हजार वर्ष में आहार की ईच्छा उत्पन्न होती है। कितनेक भव्यसिद्धिक जीव ऐसे हैं जो तीन भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परम निर्वाण को प्राप्त करेंगे और सर्व दःखों का अन्त करेंगे। समवाय-३ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् (समवाय) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद' मुनि दीपरत्नसागर कृत्' (समवाय) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" fragee Page 8Page Navigation
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