Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Author(s): Dungarshi Maharaj Publisher: Anilkant Batukbhai Bharwada View full book textPage 8
________________ પાના લીટી શુદ્ધિ પાના १४ અશુદ્ધિ अत्र माहे ૧૪ ११ अन्न मोह भुएहिं सुफणि શુદ્ધિ अगिध्धे गामिणो अणगारे भासादोस स मएहिं ૧૭ અશુદ્ધિ अणिद्वे गाभिणो अणवारे भामवोम था भासमाण सधा किइड मुफणि ७ ८ सत सता व्या भासमाणे ८3 काह ગામનું छिदड कहि રાયમનું ८ छिदह ८ बहु महत महत बाल कुरते १०० फुरते वालम्य वालस्म सया किइड बहु वाले वालस्स मुणेह विरति જાણવાવાળા आसाविणि बालम्म KAAR - 06 ४ सुणहे वाहू वाहू १४ १८४ ૧૦૪ ૧૦૫ १०७ ૧૦૯ १०८ ૧૯ ૧૧૨ विरति જાણવાળા आसविणि कोवा ૧૧૨ ૧૧૨ वहवे 3 बहुजणे मयोड सजोड उमुनीइया उमुचोडया वाला वाला गाडो गाढो कोवा एगत एगत निवेमि ।। अमूभीरनाणी अमीभूयनाणी जानी जाड महाणुभावे नमेनु मच्चे विणियायमेति विणिधायमेति वटुकूर बहुकुर या કર્યા निवग्यव पडुच्च ट्ठि बुछि बलिमेण बालिनेण निद्धि महामावे णिराकिच्चा णिराकिच्चा સભત રાભવ પદાથેના પદાર્થોના वहवे वहवे वहवे बहुजणे सुवभचरें सुवभचरे पिचागरेज्जा वियागरेज्जा वुइयाइ वुइयाइ मणोलिस मणेलिस अणुपुयकड अणुपुव्वकड समणोति समणेति तिवोमि तिवेमि ॥ वाले ५२ २ १ निवाय ૧૧૩ ૧૨૦ ૧૨૨ ૧૨૬ ૧૨૭ ૧૩૩ ૧૩૪ ૧૩૭ ૧૩૭ ૧૪૧ ૧૪૧ १४१ १४३ १४३ ૧૪૩ ૧૪ १८॥ 11 गुटुच्च ० 20 वाले मिधि अन्नि किट्ठिए .०००E उन्नि किट्ठिए जनमाणा पुछा धनः बुलमाणा पटो अट्ठ एवमेय ) गिध्धे अट्ट एवमेय वेगे मुबकखाए " सुयकमाएPage Navigation
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