Book Title: Acharya Vijaykesharsuri Jivanprabha
Author(s): Devvijay Gani
Publisher: Vijaykamal Keshar Granthmala

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Page 11
________________ ॐ अहं नमः _श्रीमद् विजयकमलमूरीश्वर गुरुभ्यो नमः श्रीमान् विजयकेशरसूरीश्वरजी महाराजश्रीनुं संक्षीप्त जीवनचरित्र. श्रीमद्वीरजिनं वर प्रवचनं श्री वर्द्धमानं प्रभु संविग्नं च गणींद्र मुक्तिविजयं चारित्रिणां शेखरं तच्छिष्पं कमलाभिधं वरगुरुं ख्यातं च मूरिश्वरं -नत्वा श्री गुरु केशरादि विजयं सूरीश्वरं योगीनं // 1 // गांभीर्यादि गुणपधान दमिनः सद्योग निष्ठस्वच पत्रिंशत् गुणरत्न रोहणगिरे श्चाध्यात्मविद्धे दिन: सत्साधुत्व परोपकार निरतात्माराम संकी डिन: श्रीमत् सद्गुरु केशरादि विजयाचार्यस्य सद्यानिनः॥२॥ आरभ्यते हारलतो पमानं मया चरित्रं ललितं सुरम्यं ... सुवर्ण मुक्ताफल युग् तदोयैः स्यूतं गुणैगुर्जर भाषया च . // 3 // युग्म, i P.P.AC. Gunvatnasuri Ms. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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