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विनयचन्द्रकृति कुसुमाञ्जलि
|| श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ लघु स्तवनम् ॥
-आज माता जोगणी ने चालो जोवा जइये रे एहनी
ढाल
भौ वण्यो मुखड़ा नउ मटकौ, आंखड़ली अणियाली । लटकालौ साहिब देखी नइ, तो सुँ लागी ताली रे ||१|| राज म्हांरा बीजा नइ किम मन री बातां कहियs || आंकणी ।। ते पासिइ ऊभा नवि रहियइ, जे होवइ बहु मीता ।
थे म्हारा छउ अन्तरजामी, मनड़ा रा मानीता रे ॥२ रा०ll आज मिल्यउ थांनर ऊमाही, दूधे जलधर बूठा । प्रभु थांरउ दर्शन देखन्तां पाप दियइ पग पूठा रे || ३ रा०॥ हियउ छर मांहरउ हेजाल, सांझ सवार न देखइ | दिवस निज लेखर रे ||४||
थांसूं प्रीतकरण न आवइ, गिणइ कर जोड़ी नइ थांसूं इतरी, अरज करूँ सिरनामी । सनमुख थइ शिवसुख कां नापड, सी कीधी छ खामी रे ||५|| थार जस मैं पहिला सुणियउ, ए प्रभु आश्या पूरइ । तर पोतान सेवक जाणी, चिन्ता किम नवि चूरइ रे ॥ ६ रा०॥ जग मांहे तुं श्री चिन्तामणि, पारसनाथ कहावइ । 'विनयचन्द्र' नइ मुगति संपतां, थारउ कासुं जावई रे ||७ रा०॥ || श्री चिन्तामणि पावनार्थ लघु स्तवनम् ॥
ढाल - वीर वखाणी राणी चेलणा जी, एहनी अरज अरिहंत अवधारिये जी, चतुर चिन्तामणि पास | आतुर दरसण निरखिवा जी, मुँकीये केम निरास || १ ||
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