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विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि राज देईसि जो मुझ भणी, तो आगे कहिस्युबात; कहि कहि देइस तुझ भणी, कन्या राज संघात ; ६
ढाल (६) हस्ती तो चढिज्यो हाडा राव कुमकुमां माहरा वालमा, ए देशी तो वारू राजा रे अहि डसीयां पछी मांहरा साहिबा,
___ अनंगसेना इण नाम रे; वेश्या विगताली। चंचल चरिताली, योवन मतवाली, गयवर गति गाली
तिण वार निहालो, मांहरो कहियो मानो, कहीयो मानो रेराज तुमने हुँ कहिसुवंछित फल लहिसुं,
धुरा राज्य नी वहिस्यु निज आपद दहिस्युं सुख सेती रहिस्यु गुण अवगुण सहिसुं। मां ।
- किण एक कारण रे दैव संयोग थी। मां। ते आवी तिण ठाइ रे मणि नीर झकोली,
___ तसु काया खोली ।। १ ।। मां० ।। ते तिण ऊपरि रे रीझ्यो अति घणो। मां।
वदनकमल निरखंत रे। थयो परम सरागी, मिलिवा मति जागी । मां० ।
__ ऊठाड़ी ने आपणै मन्दिर लीयौ । मा० । चउथी भूमि ठवन्त रे, सुख मांहि सदाई,
रहै कुमर सवाई ॥ २॥ मा० ॥
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